5. हमारा पर्यावरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न )


1. पर्यावरण किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒  किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया जिसमें वह निवास करता है तथा जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण या वातावरण कहा जाता है । उदाहरण के तौर पर पौधे, जानवर किसा मनुष्य क पर्यावरण का जैविक हिस्सा हैं । जिस धरती पर वह रहता है एवं फसल उपजाता है, जल जो वह पीता है एवं सिंचाई के लिए उपयोग में लाता है, हवा जा उसकी प्राण वाय है, ये उसके भौतिक वातावरण का भाग है। इसके अलावा वायुमंडलीय कारक जैसे सूर्य की रोशनी, वर्षा, तापक्रम एवं नमी आदि भी भौतिक वातावरण के ही भाग हैं ।

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2. वायु-प्रदूषण के कारक कौन-कौन से है ?

उत्तर ⇒  वायु प्रदूषण का मुख्य कारक है—कार्बन डाइऑक्साइड गैस, सल्फर डाइऑक्साइड गैस एवं कार्बन मोनोऑक्साइड गैस ।


3. प्रदूषण से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  पर्यावरण में अवांछनीय पदार्थों का मिलना प्रदूषण कहलाता है। यह वायु, जल तथा मिट्टी सबको प्रदूषित कर सकता है ।


4. ओजोन स्तर का क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒  ओजोन स्तर सूर्य के प्रकाश में स्थित हानिकारक पराबैंगनी किरणों (ultravioletravs) का अवशोषण कर लेता है जो मनुष्य में त्वचा-कैंसर, मोतियाबिंद तथा अनेक प्रकार के उत्परिवर्तन (mutation) को जन्म देती है ।


5. उत्पादक से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  वैसे जीव जो अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता रखते हैं. उत्पादक कहलाते हैं। ऐसे जीव सूर्य के प्रकाश ऊर्जा को विकिरण ऊर्जा के रूप में ग्रहण
कर क्लोरोफिल की उपस्थिति में रासायनिक स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित कर देते हैं । जो कार्बनिक यौगिक के रूप में हरे पौधों की उत्तकों में संचित रहता है। जैसे हरे पौधे। ये मिट्टी से प्रमुख तत्वों को अवशोषित करने में समर्थ हैं तथा साथ ही वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।


6. जैव अनिम्नीकरण अपशिष्टों से पर्यावरण को क्या हानि पहुँचती है ?

उत्तर ⇒  प्रदूषण के ऐसे कारक जिनका जैविक अपघटन नहीं हो पाता है तथा – जो अपने स्वरूप को हमेशा बनाए रखते हैं, अर्थात् प्राकृतिक विधियों द्वारा नष्ट नहीं होते हैं, जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं । विभिन्न प्रकार के रसायनों, जैसे काटनाशक एवं पीड़कनाशक DDT, शीशा, आर्सेनिक, ऐलमिनियम, प्लास्टिक, रेडियोधर्मी पदार्थ जैसे प्रदूषण के कारक पर्यावरण को अत्यधिक हानि पहुंचाते हैं। यह लंबे समय तक पर्यावरण में बने रहते हैं चूँकि यह अपघटित नहीं होते ।


7. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों के क्या कार्य हैं ?

उत्तर ⇒  पारिस्थितिक तंत्र में पौधे उत्पादक का कार्य करते हैं। इसके द्वारा निम्नलिखित कार्य होते हैं –

(i) किसी भी पारितंत्र में रहने वाले जीव की प्रकृति का निर्धारण हरे पौधों या उत्पादक के द्वारा होता है।
(ii) वायुमंडल में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड के बीच का संतुलन हरे पौधों द्वारा ही होता है।
(iii) केवल हरे पौधे ही पारितंत्र के मूल ऊर्जा स्रोत सौर ऊर्जा का प्रग्रहण कर सकते हैं।


8. पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को एक चित्र से दर्शाएँ।

उत्तर ⇒ 

पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न घटकों को एक चित्र से दर्शाएँ।

चित्र : रिस्थितिक तंत्र के घटक 


9. कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र का कोई दो उदाहरण दें।

उत्तर ⇒  कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र के दो उदाहरण हैं –

(j) फुलवारी और

(ii) जलजीवशाला या एक्वैरियम


10. मैदानी पारिस्थितिक में उत्पादक एवं उच्चतम श्रेणी के उपभोक्ता का नाम बताएँ ।

उत्तर ⇒  मैदानी ‘पारिस्थितिक में उत्पादक हरे घास’ होते हैं, तथा बाज ‘उच्चतम श्रेणी’ के उपभोक्ता ।


11. पारिस्थितिक तंत्र क्या है ? पारिस्थितिक तंत्र के किन्हीं दो जैव घटकों के नाम लिखें।

उत्तर ⇒  ‘जीवमंडल के विभिन्न घटक तथा उसके बीच ऊर्जा और पदार्थ का आदान प्रदान, सभी एकसाथ मिलकर पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं । ‘पारिस्थितिक तंत्र के दो जैव घटकों के नाम हैं-

(i) पौधे और (ii) जंतु


12. पारिस्थितिकी दक्षता को परिभाषित करें ।

उत्तर ⇒  किसी भी पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह की दक्षता उसके भोज्य पदार्थ के सेवन तथा उसे जैव मात्रा में परिवर्तित करने की क्षमता पर निर्भर करता है, पारिस्थितिकी दक्षता कहलाता है ।


13. पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए।

उत्तर ⇒  पारितंत्र के आहार श्रृंखला में क्रमबद्ध तरीके से कई जीव एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। जिस पारितंत्र के आहार श्रृंखला का प्रत्येक चरण एक पोषीस्तर को निरुपित करता है। पारिस्थितिक तंत्र में चार, पाँच या उससे भी अधिक पोषी स्तर की संभावनाएँ हो सकती हैं। इसे निम्न आहार श्रृंखला द्वारा समझा जा सकता है।
पेड़ → हिरण → बाघ →

यहाँ पेड़-पौधा प्रथम पोषी स्तर है, हिरण द्वितीय पोषी स्तर हैं तथा बाघ तृतीय – एवं उच्चतम श्रेणी के पोषी स्तर हैं।


14. यदि पीड़कनाशी अपघटित न हो तो आहार श्रृंखला के विभिन्न पोषी स्तर पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ?

उत्तर ⇒  यदि पीड़कनाशी अपघटित न हो तो, यह फसलों में संचित होना शुरू होगा। फसल के द्वारा यह आहार-शृंखला के विभिन्न पोषी स्तर तक पहुंचने लगेगा जहाँ इसकी मात्रा बढ़ती चली जाएगी। अंततः सबसे अधिक मात्रा सर्वोच्च उपभोक्ता ग्रहण करेंगे। इसके कारण कई खतरनाक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इसमें मनुष्य की मृत्यु भी हो सकती है। अतः पीड़कनाशी का अपघटित न होना विभिन्न पोषी स्तर पर प्रतिकूल असर डालता है।


15. आहार श्रृंखला को परिभाषित करें।

उत्तर ⇒  पारिस्थितिक तंत्र के सभी जैव घटक शृंखलाबद्ध तरीके से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं तथा अन्योन्याश्रय संबंध रखते हैं । यह श्रृंखला आहार श्रृंखला कहलाती है।

(सूर्य)       (पेड़-पौधे)        (हिरन)         (बाघ) 

सौर ऊर्जा → उत्पादक → प्राथमिक → द्वितीयक
उपभोक्ता    उपभोक्ता                                 


16. आहार-जाल से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒  पारिस्थितिक तंत्र में सामान्यतः एक साथ कई आहार श्रृंखलाएँ हमेशा सीधी न होकर एक-दूसरे से आड़े-तिरछे जुड़कर एक जाल जैसी संरचना बनाती हैं। किसी भी पारितंत्र में आहार ‘शृंखला का यह जाल आहार-जाल कहलाता है।


17. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?

उत्तर ⇒  ओजोन (03) के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं। यह वायुमंडल के ऊपरी सतह में पाया जाता है । यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है । यही पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यंत हानिकारक है जिससे मानव में त्वचा का कैंसर हो जाता है। यह वायुमंडल में 15 km से लेकर 50 km ऊँचाई तक पाया जाता है । अतः यह हमारे पारितंत्र के लिए काफी लाभदायक है।


18. पारितंत्र में अपघटकों की भूमिका बताइए।

उत्तर ⇒  पारितंत्र में कुछ सूक्ष्म जीव जैसे बैक्टीरिया, कवक (Fungi) एवं प्रोटोजोआ पाये जाते हैं। ये सूक्ष्म जीव पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर एवं वयं पदार्थों (excretory substance) का अपघटन करते हैं। अतः ये अपघटक कहलाते हैं। ऐसे जीव पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर एवं वर्ण्य पदार्थों में उपस्थित जटिल कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्त्वों में विघटित कर देते हैं। इस अकार्बनिक पदार्थ को पौधे पुनः मिट्टी से ग्रहण करते हैं और वृद्धि करते हैं। अतः पारितंत्र में अपघटक की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।


19. निचले पोषी स्तर पर सामान्यतः ऊपरी पोषी स्तर की तुलना में जीवों की संख्या अधिक क्यों रहती है ?

उत्तर ⇒  सामान्यत: उच्च पोषी स्तर के जीवों को अपनी आवश्यकताओं की आपति के लिए ज्यादा मात्रा में खाद्य-पदार्थों की जरूरत होती है, अतः निचले पोषी स्तर पर जीवों की संख्या अधिक होती है । अगर विभिन्न पोषी स्तर के जीवों की संख्या का अवलोकन किया जाए तो एक पिरामिड के सदृश आकृति बनती है ।


20. उपभोक्ता से क्या समझते हैं ? प्राथमिक तथा द्वितीयक उपभोक्ता का उदाहरण दें।

उत्तर ⇒  ऐसे जीव जो अपने पोषण के लिए पूर्णरूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं । सभी जंतु उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं। गाय, भैंस प्राथमिक उपभोक्ता एवं शेर, बाघ द्वितीयक उपभोक्ता के उदाहरण हैं।


21. ऐरोसॉल रसायन के हानिकारक प्रभाव क्या हैं ?

उत्तर ⇒  कुछ सुगंध (perfumes), झागदार शेविंग क्रीम, कीटनाशी, गंधहारक (deodrant) आदि डिब्बों में आते हैं और फुहारा या झाग के रूप में निकलते हैं । इन्हें ऐरोसॉल कहते हैं । इनके उपयोग से वाष्पशील CFC (क्लोरोफ्लोरो कार्बन) वायुमंडल में पहुँचकर ओजोन स्तर को नष्ट करते हैं । CFC का उपयोग व्यापक तौर पर एयरकंडीशनरों, रेफ्रीजरेटरों, शीतलकों (coolants), जेट इंजनों, अग्निशामक उपकरणों आदि में होता है।


22. संख्या का पिरामिड किसे कहते हैं ?

उत्तर ⇒  अगर विभिन्न पोषी स्तर के जीवों की संख्या का अवलोकन किया जाय तो एक पिरामिड के सदृश आकृति बनती है जिसे संख्या का पिरामिड (pyramid of numbers) कहा जाता है। सामान्यतः उच्च पोषी स्तर के जीवों को अपनी आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए ज्यादा मात्रा में खाद्य पदार्थों की जरूरत होती है, अत: निचले पोषी स्तर पर जीवों की संख्या अधिक होती है ।

चित्र : घासस्थल में संख्या का पिरामिड

चित्र : घासस्थल में संख्या का पिरामिड


23. ऐसे दो तरीके बताइये जिनसे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।

उत्तर ⇒ 

(i) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता है। यह पदार्थ सामान्यतः ‘अक्रिय’ (inert) हैं तथा पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं अथवा पर्यावरण के अन्य सदस्यों को हानि पहुँचाते हैं।

(ii) वे खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को कई प्रकार से हानि पहुँचाते हैं । यही उपरोक्त दो तरीके हैं जिनसे अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।


24. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का वातावरण में बढ़ने का मुख्य कारण क्या है ?

उत्तर ⇒  कल-कारखानों एवं उद्योगों के कारण अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ वातावरण में काफी बढ़ गए हैं ।


25. किसी भी परितंत्र में जैव घटक कौन-कौन से हैं ? उत्पादक एवं उपभोक्ता में उदाहरण सहित विभेद करें।

उत्तर – किसी भी पारितंत्र में निम्न जैव घटक हैं
पेड़-पौधे, जंतु, सूक्ष्मजीव आदि। किसी भी पारितंत्र में हरे पौधे तथा प्रकाश-संश्लेषी बैक्टीरिया जो अपना भोजन प्रकाश-संश्लेषण के द्वारा बनाते हैं, उत्पादक कहलाते हैं। इन्हें स्वपोषी भी कहते हैं। किसी भी पारितंत्र में वैसे जीव जो अपने भोजन का संश्लेषण स्वयं नहीं कर पाते, अपितु प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उत्पादकों पर निर्भर करते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं।


26. पारिस्थितिक तंत्र एवं जीवोम या बायोम में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒  पारिस्थिति तंत्र एवं जीवोम या बायोम में अंतर इस प्रकार है

                             पारिस्थितिक तंत्र                               जीवोम या बायोम
           1. यह जैव जगत् की स्वयंधारी इकाई है।        1. यह बहुत से पारिस्थितिक तंत्रों का समूह है।
2. यह जैव जीवों और अजैव पर्यावरण से मिलकर बना है। 2. इसमें समान जलवायु वाले एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र के अनेक पारिस्थितिक तंत्र होते है
3. यह जैव जगत् की अपेक्षाकृत छोटी इकाई है। 3. यह जैव जगत् की एक बहुत बड़ी इकाई है।

 


27. जैव अनिम्नीकरणीय एवं जैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों में क्या अंतर है ? उदाहरणसहित समझाएँ ।

उत्तर ⇒  अंतर निम्न है –

 

                  जैव-अनिम्नीकरणीय अपशिष्ट                     जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट
(i) ऐसे अवांछित पदार्थ, जिन्हें जैविक अपघटन के द्वारा पुनः उपयोग में नहीं लाया जाता है, जैव अनिम्नीकरणीय अपशिष्टकहलाता है। (i) ऐसे अवांछित पदार्थ, जिन्हें जैविक अपघटन के द्वारा पुन: उपयोग में आनेवाले पदार्थों में बदल दिया जाता है, जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाता है।
(ii) कीटनाशक, DDT, आर्सेनिक, प्लास्टिक आदि । (ii) मल-मूत्र, मृत शरीर, घरेलू अपशिष्ट ।
(iii) कृषि द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट   (iii) रेडियोधर्मी पदार्थ आदि ।

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