समाजवाद और साम्यवाद class 10 Subjective Long & Short Question Answer Matric Exam 2021

समाजवाद और साम्यवाद class 10 Questions 

समाजवाद और साम्यवाद class 10|samajwad aur samyavad ka question paper|class 10th social science question answer in hindi|class 10th social science question paper 2021


1. खूनी रविवार क्या है ?

उत्तर -1905 ई० के रूस-जापान युद्ध में रूस एशिया के एक छोटे-से देश जापान से पराजित हो गया। पराजय के अपमान के कारण जनता ने क्रांति कर दी। 9 जनवरी, 1905 ई० लोगों का समूह प्रदर्शन करते हुए सेंट पिट्सबर्ग स्थित महल की ओर जा रहा था। जार की सेना ने इन निहत्थे लोगों पर गोलियाँ बरसाईं जिसमें हजारों लोग मारे गये। यह घटना रविवार के दिन हुई, अतः इसे खूनी रविवार के नाम से जाना जाता है।


2. अक्टूबर क्रांति क्या है ?

उत्तर -7 नवम्बर, 1917 ई० में बोल्शेविकों ने पेट्रोग्राद के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर, टेलीफोन केन्द्र, कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया। केरेन्सकी भाग गया और शासन की बागडोर बोल्शेविकों के हाथों में आ गई जिसका अध्यक्ष लेनिन को बनाया गया। इसी क्रान्ति को बोल्शेविक क्रांति या नवम्बर की क्रांति कहते हैं। इसे अक्टूबर की क्रान्ति भी कहा जाता है, क्योंकि पुराने कैलेन्डर के अनुसार यह 25 अक्टूबर, 1917 ई० की घटना थी।


3. पूँजीवाद क्या है ?

उत्तर-पूँजीवादी ऐसी राजनीतिक-आर्थिक व्यवस्था है जिसमें निजी सम्पत्ति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है।


4. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं ?

उत्तर – समाज का वह वर्ग जिसमें गरीब किसान, कृषक मजदूर, सामान्य मजदर श्रमिक एवं आम गरीब लोग शामिल हो, उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं।


5. क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी ?

उत्तर – क्रांति से पूर्व रूसी कृषकों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। वे अपने छोटे-छोटे खेतों में पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पूँजी का अभाव था और करों के बोझ से वे दबे हुए थे। समस्त कृषक जनसंख्या का एक-तिहाई भाग भूमिहीन था जिनकी अर्द्धदासों जैसी थी।


6. “रूस की क्रांति ने पूरे विश्व को प्रभावित किया।” किन्हीं दो उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करें।

उत्तर – 1917 की रूसी क्रांति के प्रभाव काफी व्यापक और दूरगामी थे । इसका प्रभाव न केवल रूस पर बल्कि विश्व के अन्य देशों पर भी पड़ा जो निम्नलिखित थे –
(i) रूसी क्रांति के बाद विश्व विचारधारा के स्तर पर दो खेमों में बँट
गया-साम्यवादी एवं पूँजीवादी विश्व । धर्मसुधार आंदोलन के पश्चात
और साम्यवादी क्रांति के पहले यूरोप में वैचारिक स्तर पर इस तरह का विभाजन नहीं देखा गया था।

(ii) रूसी क्रांति की सफलता ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेश-मुक्ति को प्रोत्साहन दिया एवं इन देशों में होनेवाले राष्ट्रीय आंदोलन को अपना वैचारिक समर्थन प्रदान किया।


7. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी; कैसे ?

उत्तर – मजदूरों को पूँजीपतियों के शोषण से मुक्त कराना, उत्पादन एवं वितरण में समानता स्थापित करना, मजदूरों को विशेष सुविधाएँ, जैसे कार्य के घंटे, वेतन, मजदूरों को संघ बनाने की सुविधाएँ तथा मजदूरों की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति कराना । सामाजिक व्यवस्था में वर्ग संघर्ष को समाप्त कर वर्गहीन समाज की स्थापना करना।


8. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया; कैसे ?

उत्तर – प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से 1918 तक चला । रूस इस युद्ध में मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ा । युद्ध में शामिल होने का एकमात्र उद्देश्य था कि रूसी जनता मामलों में उलझी रहे । परन्तु, युद्ध में रूसी सेना चारों तरफ हार रही थी। सेनाओं के पास न अच्छे हथियार थे और न ही पर्याप्त भोजन की सुविधा थी। युद्ध के मध्य में जार ने सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया, फलस्वरूप दरबार खाली हो गया । जार की अनुपस्थिति में जरीना और उसका तथाकथित गुरु रासपुटीन (पादरी) जैसा निकृष्टतम व्यक्ति को षड्यंत्र करने का मौका मिल गया जिसके कारण राजतंत्र की प्रतिष्ठा धूमिल हुई।


9. समाजवाद क्या है ? अथवा, साम्राज्यवाद की क्या विशेषता थी ? 

उत्तर – समाजवाद का मोटे तौर पर अर्थ है-समाज में समानता की स्थापना करना । समानता का अर्थ है—आर्थिक और राजनीतिक समानता । इसमें अवसरों की समानता, योग्यता के अनुसार कार्य करने का अधिकार, समान कार्य के लिए समान वेतन तथा जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति उपलब्ध करने की भावना सन्निहित है। उसका अन्तिम लक्ष्य वर्ग-संघर्ष का अंत कर वर्गहीन समाज की स्थापना करना है । इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उत्पादन एवं वितरण के साधनों पर राष्ट्र के अधिकार को उचित ठहराया गया है।

समाजवाद के तीन मुख्य सिद्धांत हैं जिनपर सभी समाजवादी सहमत हैं

प्रथम – समाजवाद निजी पूँजीवाद की आलोचना करता है।

द्वितीय – समाजवाद श्रमिक वर्ग और मजदूरों की आवाज है। एक तरफ यह व्यावसायिक वर्ग का पक्ष लेता है तो दूसरी तरफ पूँजीपतियों या मिल-मालिकों के शोषणमूलक चरित्रों का विरोध करता है।

तृतीय– समाजवाद धन के वितरण के संबंध में न्याय चाहता है-अर्थात् उत्पादन के सभी साधनों पर समस्त जाति या समाज का स्वामित्व मान लिया जाए।


10. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।

उत्तर — रूसी क्रांति के निम्न दो कारण हैं !

मजदूरों की दयनीय स्थिति : रूस में मजदूरों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। उन्हें अधिक काम करना पड़ता था परन्तु उनकी मजदूरी काफी कम थी। उनके साथ दुव्र्यवहार तथा अधिकतम शोषण किया जाता था, मजदूरों को कोई राजनीतिक अधिकार नहीं थे । अपनी माँगों के समर्थन में वे हड़ताल भी नहीं कर सकते थे और न ‘मजदूर संघ’ ही बना सकते थे। मार्क्स ने मजदूरों की स्थिति का चित्रण करते हुए लिखा है कि “मजदूरों के पास अपनी बेड़ियों को खोने के अलावा और कुछ भी नहीं है।” ये मजदूर पूँजीवादी व्यवस्था एवं जारशाही की निरंकुशता को समाप्त कर ‘सर्वहारा वर्ग’ का शासन स्थापित करना चाहते थे।

औद्योगिकीकरण की समस्या : रूस में अलेक्जेण्डर-III के समय में औद्योगिकीकरण की गति में तीव्रता आई, लेकिन रूसी औद्योगिकीकरण पश्चिमी पूँजीवादी औद्योगिकीकरण से भिन्न था । यहाँ कुछ ही क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण उद्योगों के विकास के लिए विदेशी पूँजी पर निर्भरता बढ़ती गई। विदेशी पूँजीपति आर्थिक
शोषण को बढ़ावा दे रहे थे इसके कारण लोगों में असंतोष व्याप्त था ।


11. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता था। कैसे ?

उत्तर – मार्च, 1921 ई. में लेनिन ने नई आर्थिक नीति का प्रतिपादन किया जिसमें साम्यवादी विचारधारा के साथ-ही-साथ पूँजीवादी विचारधारा को स्वीकार किया गया । जैसे

(i) कृषकों से अतिरिक्त उपज की अनिवार्य वसूली बंद कर दी गई एवं
किसानों को अतिरिक्त उत्पादन को बाजार में बेचने की अनुमति प्रदान की गई।

(ii) 1924 ई. में सरकार ने अनाज के स्थान पर रूबल (सोवियत संघ की
मुद्रा) में कर लेना प्रारम्भ किया ।

(iii) सोवियत संघ में छोटे उद्योगों का विराष्ट्रीयकरण किया गया 1922 ई० में चार हजार छोटे उद्योगों को लाइसेंस जारी किया गया ।

(iv) श्रमिकों को कुछ नगद मुद्रा प्रदान किया जाने लगा।


12. 7 नवम्बर, 1917 ई० के पश्चात् लेनिन एवं बोल्शेविक दल के समक्ष क्या समस्या आई ?

उत्तर – सत्ता पर कब्जा करने के पश्चात् लेनिन एवं बोल्शेविक दल के समक्ष निम्न समस्या उत्पन्न हो गयी –
(i) रूस प्रथम विश्वयुद्ध में मित्रराष्ट्रों के पक्ष में युद्ध लड़ रहा था। अतः, जर्मनी के आक्रमण का सामना कर रहा था।

(ii) रूस में नवम्बर, 1917 से 1919 ई. के मध्य जारशाही वंश के समर्थक, लोकतंत्रवादी एवं बोल्शेविक पार्टी के मध्यमार्गी लोग इत्यादि के विरोध से गृहयुद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी।

(iii) प्रथम विश्वयुद्ध से अलग होने के कारण अमेरिका, जापान, ब्रिटेन एवं फ्रांस ने सोवियत संघ पर आक्रमण कर दिया ।

(iv) भूमि जमींदारों से छीनकर राज्य की भूमि घोषित कर दी गई।

(v) गृहयुद्ध के कारण हजारों एकड़ भूमि पर खेती नहीं की जा सकी थी इसके अतिरिक्त बोल्शेविक सरकार की बलपूर्वक अनाज लेने की नीति के प्रति कृषकों के विरोध के कारण उत्पादन घट गया। 1916 ई. में 7,40,00,000 टन अनाज उत्पन्न हुआ. वहीं 1917 ई. में उपज घटकर 3,00,00,000 टर्ने ही रह गयी।

(vi) प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उद्योगों पर आक्रमण एवं अक्टूबर क्रांति के
पश्चात् उद्योगों के राष्ट्रीयकरण के कारण उद्योगों में उत्पादन तेजी से
घटा । 1921 ई. में युद्धपूर्व उत्पादन का केवल 14% ही रह गया।


samajwad aur samyavad ka question paper

Geography ( भूगोल ) लघु उत्तरीय प्रश्न 

1 भारत : संसाधन एवं उपयोग
2 कृषि ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
3 निर्माण उद्योग ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
4 परिवहन, संचार एवं व्यापार
5 बिहार : कृषि एवं वन संसाधन
6 मानचित्र अध्ययन ( लघु उत्तरीय प्रश्न )

History ( इतिहास ) लघु उत्तरीय प्रश्न 

1 यूरोप में राष्ट्रवाद
2 समाजवाद एवं साम्यवाद
3 हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
4 भारत में राष्ट्रवाद 
5 अर्थव्यवस्था और आजीविका
6 शहरीकरण एवं शहरी जीवन
7 व्यापार और भूमंडलीकरण
8 प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद

Political Science  लघु उत्तरीय प्रश्न 

1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी
2 सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली
3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ
5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

Economics ( अर्थशास्त्र ) लघु उत्तरीय प्रश्न

1 अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
2 राज्य एवं राष्ट्र की आय
3 मुद्रा, बचत एवं साख
4 हमारी वित्तीय संस्थाएँ
5 रोजगार एवं सेवाएँ
6 वैश्वीकरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

Aapda Prabandhan Subjective 2022

  1 प्राकृतिक आपदा : एक परिचय

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More