3. लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष ( लघु उत्तरीय प्रश्न )


1. राजनीति दल लोकतंत्र में क्यों आवश्यक है ?

उत्तर- राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है
(i) लोकतंत्र में सरकार का निर्माण बहुमत से होता है।
(ii) राजनीतिक दल जनमत के निर्माण में सहायक हैं तथा जनता में जागरूकता बढ़ाने में सहायक है।
(iii) राजनीतिक दल जनता व सरकार के बीच कड़ी का कार्य करते हैं।
(iv) विरोधी दल के रूप में ये सरकार की मनमानी पर रोक लगाती है।


2. राष्ट्रीय राजनीतिक दल क्या हैं?

उत्तर- वैसे राजनीतिक दल जो लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में चार या उससे अधिक राज्यों में कुल वैध मतों का कम से कम 6 (छह) प्रतिशत प्राप्त करते हैं। साथ ही साथ वे लोकसभा में कम से कम 2 प्रतिशत या 11 सीटें हासिल करते हैं। उन्हें भारत के चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता दी जाती है।


3. राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के दो सुझाव दें। 

उत्तर- राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं
(i) दल-बदल को रोकना- विधायकों और सांसदों को दल-बदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया। ऐसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के पैसे के लोभ व सत्ता में रहने के लिए किया गया। नए कानून के अनुसार अपना दल बदलने वाले विधायक या सांसद को अपनी सीट भी गंवानी पड़ेगी। इस कानून से दल-बदल में कमी आई है। पार्टी का नेता जो भी फैसला करता है, विधायक या सांसद को उसे मानना ही होता है।

(ii) शपथ-पत्र – चुनाव आयोग ने पैसे और अपराधियों का प्रभाव कम करने के लिए एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के द्वारा चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को अपनी संपत्ति का और अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का व्योरा एक शपथ-पत्र के माध्यम से देना अनिवार्य कर दिया है। इस व्यवस्था से लोगों को अपने उम्मीदवार के बारे में बहुत-सी पक्की सूचनाएँ उपलब्ध होने लगी है लेकिन जाँच करने की कोई व्यवस्था नहीं है।


4. राजनीतिक दलों के गठबंधन से आप क्या समझते हैं ? क्या गठबंधन समय की माँग है?

उत्तर- जब चुनाव में किसी एक राजनीतिक दल के बहुमत में आने की संभावना नहीं दिखाई देती है तो दो या दो से अधिक विभिन्न सिद्धांतों में विश्वास रखनेवाले राजनीतिक दल गठबंधन बनाकर चनाव लडने का निर्णय लेते हैं, तो उस राजनीतिक दला का गठबंधन कहा जाता है। उदाहरण के लिए नवम्बर 2015 में बिहार विधान सभा के चनाव में जनता दल (य) और राष्टीय जनता दल का गठबधन चुनाव म हआ। कभी-कभी चनाव में किसी एक दल के बहुमत नहीं आने पर सरकार के गठन के उद्देश्य से कुछ राजनीतिक दल आपसी गठबंधन करके सरकार चलाने का निर्णय लेते हैं। इसे गठबंधन की राजनीति कहते हैं। भारत में गठबंधन की राजनीति अब समय की माँग बन गई है। अब केंद्र में तथा कुछ राज्यों में कोई राजनीतिक दल अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रही है। 1989 के बाद से ही भारतीय राजनीति में एक राजनीतिक दल के वर्चस्व का दौर समाप्त हो गया है। उदाहरण के लिए 1991 में पी० वी० नरसिम्हा राव के नेतृत्व में सरकार कुछ सांसदों के खरीद-फरोख्त से बनी। इसी प्रकार राज्यों में भी सरकार बनने लगी। अत: हम कह सकते हैं कि राजनीतिक दलों की गठबंधन को सरकार आज के समय की माँग है।


5. दबाव-समूह राजनीतिक दलों पर किस प्रकार प्रभाव डालते हैं?

उत्तर- दबाव-समूह अपने क्रिया-कलापों के माध्यम से ये राजनैतिक दलों को निरंतर प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। प्रायः प्रत्येक आंदोलन का एक राजनीतिक पक्ष होता है जिसके कारण दबाव-समूह एवं राजनीतिक दलों के बीच प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध स्थापित हो जाता है। कभी-कभी राजनीतिक दल ही सरकार को प्रभावित करने के लिए दबाव समूहों का गठन करते हैं। इस प्रकार दबाव-समूह राजनीतिक दल की एक शाखा के रूप में कार्य करने लगते हैं। कभी-कभी किसी उद्देश्य से गठित दबाव-समूह ही राजनीतिक दल का रूप ग्रहण कर लेते हैं, जैसे झारखंड मुक्ति मोर्चा, असम गण परिषद आदि।


6. राजनीतिक दल किस तरह सत्ता में साझेदारी करते हैं?

उत्तर- सत्ता में साझेदारी या भागीदारी किसी भी लोकतंत्र के लिए एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण आधार है। राजनीतिक दल सत्ता में साझेदारी का सबसे जीवंत स्वरूप है। इसकी सत्ता की साझेदारी में निम्नांकित भूमिका होती है।

(i) राजनीतिक दल सत्ता के सशक्त दावेदार के रूप में निर्वाचन प्रक्रिया में भागीदार होते हैं।
(ii) राजनीतिक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा के रूप में कार्य करते
(ii) अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों के अनुरूप जनता का समर्थन प्राप्त कर ये सत्ता के प्रमुख भागीदार बनते हैं।
(iv) ये जनता और सरकार, प्रशासन एवं नौकरशाही तथा जनता के बीच सम्पर्क का प्रमुख माध्यम बनकर राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदार बने रहते हैं।
(v) स्थानीय शासन में प्रतिनिधियों का समर्थन कर स्थानीय राजनीतिक प्रक्रिया में भागीदारी करते हैं।
(vi) राजनीतिक दल जनता के प्रतिनिधि के रूप में लोक सभा, राज्य सभा अथवा राज्यों के विधानमंडलों में जनता के प्रतिनिधि के रू कर जनता के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाते हैं।


7. भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के नाम बताएँ।

उत्तर- भारत में आठ राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं—भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी, तृणमूल काँग्रेस, नेशनल पीपुल्स पार्टी।


8. क्षेत्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं? .

उत्तर- राष्ट्रीय दल के अलावा वे सभी राजनीतिक दल जिनका प्रभाव सिर्फ एक राज्य अथवा क्षेत्र विशेष तक ही रहता है; क्षेत्रीय दल कहलाता है। गठबंधन सरकार में ये महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। उदाहरण—जनता दल यूनाइटेड; राष्ट्रीय जनता दल इत्यादि।


9. राजनीतिक दलों का मुख्य लक्ष्य क्या होता है?

उत्तर- चुनाव में जनता के समर्थन से बहुमत प्राप्त करना। बहुमत प्राप्ति के बाद सरकार का गठन करना।


10. क्षेत्रीय दलों का क्या महत्त्व है ?

उत्तर-वर्तमान दौर में ज्यादातर सरकार गठबंधन सरकार के रूप में आती हैं। इसमें सर्वाधिक सहयोग क्षेत्रीय दलों से ही प्राप्त होता है। ये दले न सिर्फ राज्यों में सरकार का गठन करती हैं, बल्कि केंद्र सरकार के गठन में भी महत्त्वपर्ण योगदान देती हैं।


11. सत्तारूढ़ दल किसे कहते हैं?

उत्तर- जो दल सरकार बनाता है उसे सतारूढ़ दल कहा जाता है।


12. दलीय व्यवस्था के तीनों स्वरूपों का नाम बतावें।

उत्तर- संसार में दलीय व्यवस्था के तीन रूप हैं –

(i) एक दलीय व्यवस्था,
(ii) द्विदलीय व्यवस्था एवं
(iii) बहुदलीय व्यवस्था ।


13, राजनीतिक दल किस प्रकार जनता एवं सरकार के बीच कड़ी का काम करते हैं ?

उत्तर- राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्यों में से एक है। जनता एवं सरकार के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करना।
राजनीतिक दल ही जनता की समस्याओं और आवश्यकताओं को सरकार के सामने रखते हैं। इसके लिए वे आदोलनों का भी सहारा लेते हैं।
राजनीतिक दल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को जनता तक पहुँचाने का भी कार्य करते हैं।


14. राजनीतिक दल और दबाव समूह में मुख्य अंतर क्या है ?

उत्तर- दबाव समूह राजनीतिक दल से भिन्न होते हैं। राजनीतिक दल का लक्ष्य जहाँ सत्ता की प्राप्ती होता है। वहीं दबाव समूह बिना सत्ता प्राप्त किये अपने सदस्यों के हितों की पूर्ति के लिए प्रयत्नशील होते हैं। राजनीतिक दल का संगठन काफी व्यापक होता है। वहीं दबाव समूह का संगठन छोटा होता है। राजनीतिक दल हमेशा सक्रिय रहते हैं। जबकि दबाव समूह काम के बाद सक्रिय नहीं रहते हैं।


15. स्वतंत्र राजनीतिक संगठन कौन होता है ?

उत्तर- स्वतंत्र राजनीतिक संगठन भारत सरकार के चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त एक ऐसा संगठन है जो विभिन्न राजनीतिक क्रियाकलापों में अग्रणी भूमिका अदा करता है। इसका मुख्य उद्देश्य जनता का प्रतिनिधित्व करना, चुनाव जीत कर सत्ता की प्राप्ति करना और पुनः जन कल्याण के लिए नीतियाँ तैयार करना है।


16. भारत में बहुदलीय व्यवस्था है, कैसे?

उत्तर- क्योंकि यहाँ पर सत्ता में भागीदारी किसी एक दल का न होकर सभी दल समान रूप से भागीदार होते हैं।


17. दबाव-समूह की परिभाषा दें।

उत्तर- लोकतंत्र में जनमत और राजनीतिक दलों के साथ-साथ दबाव समूह भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। दबाव समूह कुछ व्यक्तियों का समूह होता है और वे कुछ विशेष लाभ के लिए आपस में बँधे होते हैं जिसकी उन्हें पूर्ण जानकारी भी होती है। उन्हीं समूहों को दबाव समूह कहा जा सकता है जिनमें संगठन होता है, जिनमें विशेष कार्यकर्ता होते हैं, जिनके सामाजिक एवं राजनीतिक उद्देश्य स्पष्ट रूप से सनिश्चित एवं वर्णित होते हैं तथा जो विभिन्न संस्थाओं के बीच रहकर अपना कार्य सम्पन्न करते हैं। ‘


18. जनता दल यूनाइटेड का परिचय दें।

उत्तर- 1999 में जनता दल से अलग होकर शरद यादव के नेतृत्व में जनता दल ‘यूनाइटेड’ का गठन हुआ। जनता दल यूनाइटेड एक क्षेत्रीय दल है जो बिहार में सत्तारूढ है। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य है समाजवाद की स्थापना एवं दलित पिछडों का विकास कर सामाजिक न्याय लाना। यह संघीय ढाँचे के अंतर्गत राज्यों धकार की माँग करता है। इसका चुनाव चिन्ह तीर का निशान है।


19. चुनावी घोषणा-पत्र क्या है ?

उत्तर- चुनावों के समय विभिन्न राजनीतिक पार्टियाँ अपने-अपने विचारों को जनता के सामने रखती हैं। इसमें पार्टियाँ, वोटरों को यह बतलाती हैं कि उनकी नीतियाँ क्या हैं और सत्ता में आने के बाद वे क्या करने वाले हैं। . कुल मिलाकर ये उनकी नीतियों एवं कार्यक्रमों का संकलन हैं।


20. चिपको आन्दोलन के मुख्य उद्देश्य क्या है ?

उत्तर-

(i) वन संपदा की सुरक्षा ।
(ii) वन्यजीव की सुरक्षा
(iii) मिल मालिकों के शोषण से मक्ति


21. नर्मदा बचाओ आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था? .

उत्तर- नर्मदा बचाओ आंदोलन का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार का ध्यान आकृष्ट करना रहा है। इस आंदोलन के समर्थकों का यह कहना है कि जंगल, जल और जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर स्थानीय समुदायों का प्रभावी नियंत्रण होना चाहिए। सरदार सरोवर परियोजना के विरोध के पीछे यह तर्क दिया गया कि वह पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह है।


22. लोकतंत्र स्वतंत्रता और समानता पर आधारित शासन है, कैसे?

उत्तर- स्वतंत्रता और समानता लोकतंत्र के दो प्रमुख आधार है। स्वतंत्रता के अन्तर्गत देश के सभी नागरिकों को समान रूप से स्वतंत्रता प्रदान की गई है। इसमें भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, निर्बाध विचरण की स्वतंत्रता, संगठन बनाने की स्वतंत्रता, पेशा व्यवसाय चुनने एवं मताधिकार आदि की स्वतंत्रता।


23. लोकतंत्र में विपक्षी दल की क्या भूमिका है ? 

उत्तर- विपक्षी दल, सरकार के कार्यों पर निगरानी रखते हैं तथा समय-समय पर अपना विरोध प्रकट करते हैं, इसके फलस्वरूप सरकार जनता के अहित में कोई भी कार्य करने से डरती है। इस प्रकार जनता के हितों की रक्षा हो पाती है।


24. लोकतंत्र में जनसंघर्ष की क्या भूमिका है?

उत्तर- जनसंघर्ष या आंदोलन न केवल सत्ता प्राप्ति के लिए होता है बल्कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने एवं उसे विकसित करने के लिए होता है। यह एक सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा जनता अपनी बातों को सरकार तक पहुँचाती है एवं सरकार को गलत नीति निर्माण से भी रोकती है।


25. जनसंघर्ष के दो पक्षों का उल्लेख करें।

उत्तर- जनसंघर्ष के दो पक्ष हैं सकारात्मक एवं नकारात्मक। राजनीतिक एवं सामाजिक स्तर पर व्याप्त बुराइयों को दूर करने का उद्देश्य सकारात्मक है। वर्तमान व्यवस्था के विरुद्ध असहमति का भाव नकारात्मक है।


26. बूथ छापामारी से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- कोई उम्मीदवार अपनी जीत सनिश्चित करने के लिए ताकत के बल पर बूथ छापेमारी का काम करता है। वह अपने समर्थकों के माध्यम से अधिकाधिक मत डलवाने का प्रयास करता है। ..


27. दलित पैंथर्स क्या है ?

उत्तर- यह एक संगठन था। इसका निर्माण दलित वर्ग के नवयुवकों के द्वारा किया गया था।


28. पंचायत समिति के कार्यों का वर्णन करें।

उत्तर- पंचायत समिति सभी ग्राम पंचायतों की वार्षिक योजनाओं पर विचार-विमर्श करती है तथा समेकित योजनाओं को जिला परिषद में भेजती है। राज्य सरकार द्वारा सौंपे गए कार्यों का संपादन एवं निष्पादन करती है। इसके अतिरिक्त सामुदायिक विकास कार्य एवं प्राकृतिक आपदा के समय राहत का प्रबंध करना भी इसकी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी है।


29. ‘ताड़ी-विरोधी आंदोलन’ क्यों हुआ ? 

उत्तर- 1990 के दशक में आंध्रप्रदेश में ताड़ी एवं शराब की बिक्री चरम सीमा पर थी। इसके दुष्परिणाम से सारे लोग खासकर महिलाएँ त्रस्त थीं। सरकार अधिक आय प्राप्त करने के कारण इसकी बिक्री बंद करने के पक्ष में नहीं थी। परंतु आंध्रप्रदेश का सामाजिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था। पुरुष ताड़ी और शराब पीकर घर की महिलाओं पर जुल्म ढाने में लगे रहते थे। परिणामस्वरूप महिलाओं की सक्रियता से आंध्रप्रदेश के नेल्लौर जिले में ‘ताडी-विरोधी आंदोलन’ प्रारंभ हो गया।


30. वंशवाद किसे कहते हैं ?

उत्तर- ऐसी प्रवृत्ति जिसमें किसी राजनीतिक दल के शीर्ष पर बैठा व्यक्ति अनुचित लाभ उठाते हुए अपने सगे-संबंधियों, मित्रों एवं रिश्तेदारों को दल के प्रमुख पदों पर बिठाते हैं, वंशवाद कहलाता है। वंशवाद लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के सामने एक प्रमुख चनौती है।


31. भारतीय किसान यूनियन की मुख्य माँगें क्या थीं ?

उत्तर- भारतीय किसान यूनियन की निम्नलिखित मुख्य माँगें थी

(i) गन्ने और गेहूँ के सरकारी खरीद मूल्य में बढ़ोत्तरी करना।
(ii) कृषि संबंधित उत्पादों के अंतर्राज्यीय आवागमन पर लगे रोक को हटाना
(iii) समुचित दर पर गारंटीयुक्त विद्युत आपूर्ति करना,
(iv) किसानों के बकाये कर्ज को माफ करना तथा
(v) किसानों के लिए पेंशन योजना लागू करना।


32. सामाजिक न्याय किसे कहते हैं ?

उत्तर- लोगों के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन में पाए जाने वाले असमानता को समाप्त करना और सभी लोगों को विकास का समुचित अवसर उपलब्ध कराना सामाजिक न्याय है।


33. सूचना का अधिकार किसे कहते हैं ?

उत्तर- लोकतंत्र जनता की, जनता द्वारा और जनता की सरकार है। अत: जनता को सरकार द्वारा जनता के लिए किए गए कार्यों और बनाई गई नीतियों को जानने का अधिकार है। इस ही सूचना का अधिकार कहा गया है। इसे प्राप्त करने के लिए एक आंदोलन करना पड़ा। यह आंदालन राजस्थान के व्यावर नामक स्थान से प्रारंभ हुआ और सरकार को बाध्य होकर सूचना के अधिकार-संबंधी कानून बनाना पड़ा। भारत सरकार ने भी 2005 के 12 अक्टूबर से सूचना के अधिकार-संबंधी कानून बनाकर लागू किया।


34. सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे?

उत्तर- सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य थे

(i) सत्ता में आंशिक साझेदारी करना।
(ii) सरकारी काम-काज पर नियंत्रण रखना।
(iii) सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों के कार्यों का सार्वजनिक करना। ।


35. चिपको आन्दोलन क्यों और कहाँ हुआ?

उत्तर- चिपको आन्दोलन 1970 के दशक में वर्तमान उत्तराखण्ड राज्य में प्रारम्भ हुआ। इस आन्दोलन के प्रणेता सुन्दर लाल बहुगुणा हैं। यह पर्यावरण रक्षा के लिए किया गया आन्दोलन था। जंगलों में व्यावसायिक आधार पर, वृक्षों की कटाई का विरोध में यह आन्दोलन किया गया। गाँववाले विशेषकर महिलाओं ने वृक्षों से चिपककर पेड़ों की रक्षा की।


Geography ( भूगोल ) लघु उत्तरीय प्रश्न 

1 भारत : संसाधन एवं उपयोग
2 कृषि ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
3 निर्माण उद्योग ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
4 परिवहन, संचार एवं व्यापार
5 बिहार : कृषि एवं वन संसाधन
6 मानचित्र अध्ययन ( लघु उत्तरीय प्रश्न )

History ( इतिहास ) लघु उत्तरीय प्रश्न 

1 यूरोप में राष्ट्रवाद
2 समाजवाद एवं साम्यवाद
3 हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
4 भारत में राष्ट्रवाद 
5 अर्थव्यवस्था और आजीविका
6 शहरीकरण एवं शहरी जीवन
7 व्यापार और भूमंडलीकरण
8 प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद

Political Science  लघु उत्तरीय प्रश्न 

1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी
2 सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली
3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ
5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

Economics ( अर्थशास्त्र ) लघु उत्तरीय प्रश्न

1 अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
2 राज्य एवं राष्ट्र की आय
3 मुद्रा, बचत एवं साख
4 हमारी वित्तीय संस्थाएँ
5 रोजगार एवं सेवाएँ
6 वैश्वीकरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

Aapda Prabandhan Subjective 2022

  1 प्राकृतिक आपदा : एक परिचय

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