6. वैश्वीकरण ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )


1. वैश्वीकरण के प्रमुख अंगों की चर्चा करें।

उत्तर- वैश्वीकरण के निम्न पाँच प्रमुख अंग हैं-

(i) पूँजी की पूर्ण परिवर्तनशीलता- इसका अर्थ है निर्यातकर्ता अब निर्यात द्वारा प्राप्त अर्जित विदेशी पूँजी को बाजार में बेच सकता है।

(ii) पूँजी का स्वतंत्र प्रवाह- इसके अंतर्गत किसी भी देश के पूँजीपति भारत में अपनी पूँजी का विनियोग कर सकते हैं और भारत के पूँजीपति विदेशों में अपनी पूँजी का विनियोग कर सकते हैं।

(iii) श्रम का स्वतंत्र प्रवाह- श्रम का स्वतंत्र प्रवाह एक देश से दूसरे देश में किया जा सकता है।

(iv) तकनीकी का स्वतंत्र प्रवाह- इसके अंतर्गत बिना किसी रुकावट के तकनीकों का अन्य देशों से आयात किया जा सकता है।

(v) व्यवसाय एवं व्यापार संबंधी अवरोधों में कमी- व्यापार तथा व्यवसाय के जितने अवरोध हैं उनमें कमी होने से वस्तुओं एवं सेवाओं का बिना रुकावट के आदान-प्रदान किया जा सकता है।


2. वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारकों का वर्णन करें।

उत्तर- वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले प्रमुख कारक निम्न हैं

(i) तकनीकी प्रगति में परिवर्तन- वैश्वीकरण की प्रक्रिया को तीव्र करने में प्रौद्योगिकी का काफी महत्त्वपूर्ण स्थान है। आज तकनीकी प्रगति के विकास के कारण ही समय, स्थान एवं दूरियाँ नजदीकियाँ में बदल गयी है। विश्व एक वैश्विक गाँव-सा बनकर रह गया है। यातायात एक दूरसंचार के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति ने न सिर्फ यातायात के साधनों को सुगम बना दिया है, बल्कि दूरसंचार के माध्यम से समय की बचत हो गयी है, अनेक प्रकार के खर्चों में भी भारी बचत हुई है। टेलीफोन, मोबाइल, फोन, फैक्स आदि के द्वारा आज विश्व के किसी भी स्थान से अविलंब सम्पर्क स्थापित किया जा सकता है। ई० मेल के द्वारा कम मूल्य पर कम समय में ई-मेल से भेज सकते हैं। कम्प्यूटर का उपयोग काफी तेजी से हो रहा है। इसका प्रयोग आज घर-घर एवं हरेक कोने तक फैल गया है। इस प्रकार हम देखते हैं कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास ने लोगों को नजदीक लाकर वैश्वीकरण की प्रक्रिया को काफी तेज कर दिया है।

(ii) प्रतिस्पर्द्धा  – प्रतिस्पर्द्धा के कारण ही कंपनियों को, विदेशों में नये बाजार खोजने की आवश्यकता हुई तथा इसी के फलस्वरूप उत्पादन तथा विक्रय की नयी विधियों का विकास हुआ है।

(iii) उदारवादी नीतियाँ- वैश्वीकरण के विकास का मुख्य कारण विभिन्न देशों द्वारा अपनायी गयी उदारवादी नीतियाँ हैं। इनके फलस्वरूप अन्तर्राष्टीय आर्थिक लेन-देन पर लगी रोकों को हटा दिया गया है। विश्व अर्थव्यवस्था में कई प्रकार की रुकावटें दूर होने से वैश्वीकरण की प्रक्रिया के लिए रास्ता साफ हो गया है।

(iv) विकासशील अर्थव्यवस्था के अनुभव-  वैश्वीकरण की प्रक्रिया को अपनाने वाली विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ जैसे—कोरिया, थाइलैंड, ताइवान, हांगकांग, सिंगापुर आदि आर्थिक दृष्टि से बहुत ज्यादा सफल रही है। चीन भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया को अपनाकर आर्थिक विकास की ऊँची दर प्राप्त करने में अधिक सफल रहा है।

(v) अन्य कारक- अन्य कारकों में प्रमुख रूप से
(i) वितरण प्रणाली एवं विपणन दृष्टिकोण एक समान रूप वाले होते जा रहे हैं।
(ii) पूँजी बाजारों का सार्वभौमिकीकरण होता जा रहा है।
(iii) कम्प्यूटर एवं संबद्ध तकनीकी के विस्तार के परिणामस्वरूप सभी देशों में तकनीकी पुनर्रचना की प्रक्रिया लागू है। इस तरह वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करने वाले उपर्युक्त कई कारक हैं।


3. वैश्वीकरण का सेवा क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ा है ?

उत्तर- वैश्वीकरण से सबसे अधिक लाभ सेवा क्षेत्र को हुआ है। आज देश की सॉफ्टवेयर कम्पनियाँ एवं इंजीनियर विश्व भर में फैले हुए हैं। इनके द्वारा प्रदत्त सेवाओं का लाभ विदेश स्थित बैंक, बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ एवं अन्य निजी व्यपारिक तथा सरकारी प्रतिष्ठान ले रहे हैं। कॉलसेंटर विदेशी कम्पनियों के ग्राहक सेवा केन्द्र के रूप में कार्य करते हैं। आज आँकड़ा प्रविष्ठ अभिलेखांकन, लेखांकन, बैंकिंग सेवा, चिकित्सा संबंधी परामर्श, पुस्तक, पत्रिका डिजाइनिंग जैसी कई अन्य सेवाएँ भी विश्व के अन्य देश भारत को निर्यात कर रहे हैं। इस प्रकार, भारत विश्व में ‘व्यापार प्रक्रिया वाह्यस्रोतीकरण’ के प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरा है और विश्व सेवा प्रदाता के रूप में प्रतिष्ठित हो गया है।


4. वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभावों की चर्चा करें।

उत्तर- वैश्वीकरण के अनेक सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं परंतु इसके नकारात्मक प्रभाव की भी कमी नहीं। इसके नकारात्मक प्रभाव इस प्रकार से है

(i) वैश्वीकरण के कारण कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों की उपेक्षा हुई है। इसमें सर्वाधिक महत्त्व बहराष्ट्रीय कंपनियों एवं विशाल पूँजी वाले उद्योगों को दी गई हैं।

(ii) कटीर एवं लघ उद्योगों पर भी विपरीत प्रभाव देखने को मिला है। कम पूँजी के कारण ये विदेशी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाते।

(iii) रोजगार पर भी इसका विपरीत प्रभाव पडा है क्योंकि वैश्वीकरण से सिर्फ कुशल एवं तकनीकी रूप से दक्ष लोगों को ही रोजगार की प्राप्ति हुई हैं।

(iv) आधारभत संरचना के कम विकास के कारण सिर्फ बड़े शहरों में हा अधिक निवेश होते हैं, शेष स्थानों पर इसका प्रभाव नगण्य होता है।


5. भारत में वैश्वीकरण का वर्णन करें।

उत्तर- भारत में वैश्वीकरण की आवश्यकता आज के संदर्भ में अति आवश्यक है। विकास की जो स्थिति है उसके लिए उद्योग एवं व्यापार को नई प्रौद्योगिकी और ज्ञान की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में देश में आधुनिक तकनीकी ज्ञान एवं पूँजी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तथा विश्व बाजार में पूँजी और उत्पादित वस्तुओं को भेजने में वैश्वीकरण का महत्त्व काफी बढ़ गया है। भारत के लिए वैश्वीकरण कई कारणों से आवश्यक है।

(i) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन- वैश्वीकरण के द्वारा विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलता है। भारत जैसे विकासशील देश अपने विकास के लिए पूँजी प्राप्त कर सकेगा।

(ii) मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास- वैश्वीकरण के लिए दो मुख्य घटकों का होना अनिवार्य होता है—शिक्षा तथा कौशल । इन दोनों घटकों के द्वारा ही मानवीय विकास को बढ़ावा मिलता है।

(ii) प्रतियोगिता- वैश्वीकरण के संसाधनों के आवंटन में कुशलता आएगी। ‘पूँजी-निपज अनुपात’ घटेगा तथा श्रम की उत्पादकता में वृद्धि होगी। इससे देश में विदेशी पूँजी एवं आधुनिक तकनीक प्रवाहित हो सकेगी।

(iv) अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति- भारत में वैश्वीकरण की आवश्यकता भारत जैसे विकासशील देशों को अच्छी गुणवत्ता वाली उपभोग की वस्तुओं की तुलना में कम कीमत पर प्राप्त करने के योग्य बनाता है।।

(v) नये बाजार तक पहुँच- भारत जैसे विकासशील देश के लिए विश्व के बाजारों तक पहुँचने का एक आम रास्ता वैश्वीकरण ही है।

(vi) उत्पादन के स्तर को उन्नत करना- वैश्वीकरण के माध्यम से ही संभव हो पाता है क्योंकि वैश्वीकरण के द्वारा अच्छे किस्म के मशीन तथा उन्नत तकनीक के उपयोग से उत्पादन के स्तर को ऊपर उठाया जाता है।

(vii) बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्रों में सुधार- देश में विदेशी बैंकों के आगमन से देश की बैंकिंग व वित्तीय व्यवस्था में सुधार होगा।


6. बिहार के आर्थिक व्यवस्था पर वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव का वर्णन करें।

उत्तर- बिहार के आर्थिक व्यवस्था पर वैश्वीकरण का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है जो निम्नलिखित हैं-

(i) कृषि उत्पादन में वृद्धि – वैश्वीकरण के कारण आपात स्थिति में भी सरकार खाद्य सुरक्षा के मामले में सबल है अर्थात् कृषि उत्पादन में काफी वृद्धि

(ii) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की प्राप्ति- वैश्वीकरण के फलस्वरूप बिहार में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश भी हुआ है और भविष्य में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में वृद्धि की आशा की जाती है।

(iii) राज्य की आय तथा प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि- वैश्वीकरण के कारण बिहार राज्य की आय तथा प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि हुई है।

(iv) विश्वस्तरीय उपभोक्ता वस्तुओं की उपलब्धता- वैश्वीकरण के कारण बिहार के बाजारों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के मोबाइल फोन, जते. रेडिमेट-खाद्य पदार्थ, कारें एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ बिहार में उपलब्ध है।

(v) रोजगार के अवसरों में वृद्धि- वैश्वीकरण के फलस्वरूप बिहार के बहुत सारे सॉफ्टवेयर इंजीनियर आज संयुक्त राज्य अमेरिका एवं इंगलैंड आदि में बड़ी संख्या में नौकरी कर रहे हैं।

(vi) बहराष्ट्रीय बैंक एवं बीमा कम्पनियों का आगमन – वैश्वीकरण के कारण एच०एस०बी०सी० बैंक, बजाज एलियांस, बिरला सनलाइफ, टाटा ए०आई० जी०, अवीवा इत्यादि का बिहार में आगमन हुआ है। इस प्रकार बिहार की अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।


7. वैश्वीकरण का बिहार पर पड़े प्रभावों को बताएं।

उत्तर- वैश्वीकरण का बिहार पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही प्रभाव देखने को मिलता है
सकारात्मक प्रभावों के कारण कृषि उत्पादनों में वृद्धि, विदेशी प्रत्यक्ष निवेशी राज्य घरेलू उत्पाद एवं प्रतिव्यक्ति शुद्ध राज्य घरेलू उत्पाद में वृद्धि, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, बहुराष्ट्रीय बैंक तथा बीमा कंपनियों का आगमन इत्यादि देखा गया है। इसका राज्य पर नकारात्मक प्रभावों को भी देखा गया है जैसे कृषि एवं कृषि आधारित उद्योगों की अपेक्षा. कटीर एवं लघ उद्योगों पर विपरीत प्रभाव, राजगार पर विपरीत प्रभाव, आधारभूत संरचनाओं में निवेश में कमी।-कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यहाँ उद्योगों एवं बड़े व्यापारियों को अधिक लाभ की प्राप्ति हुई है। मॉल संस्कृति का भी जन्म हुआ है, परंतु कृषक एवं आम जनता आज भी इससे कम लाभ उठा पा रहे हैं।


8. भारत में सामान्य व्यक्ति पर वैश्वीकरण का क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर- वैश्वीकरण के प्रभाव से भारत में बड़ी मात्रा में विदेशी पूँजी का आयात हुआ है। बाजार में आयतित एवं विदेशी ब्रांड की वस्तुओं का प्रसार बढ़ा है। विदेशी कम्पनियों ने कई जगह अपने कल-कारखाने एवं विक्रय केन्द्र स्थापित किए गए हैं । आम आदमी के लिए इसके निम्नांकित लाभ हैं-

(i) उपभोग के लिए आधुनिक वस्तुओं एवं सेवाओं की उपलब्धता- भारत के उपभोक्ता के लिए विश्व की आधुनिकतम वस्तुएँ बाजार में क्रय के लिए उपलब्ध है। इसमें लैपटॉप, कम्प्यूटर, टेलीविजन, मोबाइल शामिल है। मेट्रो रेल जैसा आधुनिक सेवा भी वैश्वीकरण की देन है।

(ii) रोजगार की बढ़ी हुई संभावना- वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं। यह शिक्षित एवं कुशल श्रमिकों के लिए अधिक लाभप्रद सिद्ध हुआ है, खासकर सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में लाभ उत्पादक को
उत्कृष्ट उत्पाद के रूप में मिला है। प्रतियोगिता से वस्तुओं की गुणवत्ता बढ़ी है।

वैश्वीकरण के निम्नांकित कुछ दुष्प्रभाव हैं –

(i) छोटे उत्पादकों एवं श्रमिकों का संकट- बहराष्ट्रीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा के प्रभाव से कई मध्यम एवं छोटी उत्पादक इकाइयाँ बंद हो गई है। कई श्रमिक इस कारण बेरोजगार हो गए हैं। लघु उद्योग में लगभग 2 करोड़ श्रमिक नियोजित हैं। अतः वैश्वीकरण ने इनके समक्ष रोजी-रोटी की चुनौती खडी कर दी है ।

(ii) कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र में संकट- कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विकास का संकट है। कम पँजी निवेश के कारण पिछले 20 वर्षों में इस क्षेत्र की औसत आर्थिक वृद्धि दर बहुत कम रहा है। किसान कर्ज के बोझ से आत्महत्या करने को मजबूर है ।

वैश्वीकरण एक सच्चाई है, किंतु उपलब्ध प्रमाण यह दर्शाते हैं कि आम आदमी को इसका मिश्रित लाभ मिला है। वैश्वीकरण से ज्यादातर धनी उपभोक्ता कशल एवं शिक्षित श्रमिक एवं बड़े उत्पादनकर्ताओं को ही लाभ पहँचा है। बढती स्पर्धा से छोटे उत्पादक एवं श्रमिक प्रभावित हुए हैं। कृषि एवं ग्रामीण क्षेत्र वैश्वीकरण के समुचित लाभ से अब भी वंचित है।


9. सन् 1991 के पूर्व वैश्वीकरण के स्वरूप की चर्चा करें।

उत्तर- वैश्वीकरण की प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है। वर्ष 1870 से 1914 के दौरान भी ऐसा ही एक दौर देखने को मिला था। उस समय भारतीय जनता को गिरमिटिया मजदूरों के रूप में मॉरिशस, फिजी तथा अन्य देशों में बागानी कलि के लिए ले जाया गया। रेशम (सिल्क) मार्गों का उपयोग कर अनेक विदेशी व्यापारियों ने भारत में व्यापार फैलाया। आज जो स्थिति अमेरिका की है वह ब्रिटेन की हुआ करती थी। विश्व में . सर्वाधिक व्यापार ब्रिटेन की कंपनियाँ फैला रखी थी। दो विश्वयद्धों ने बिटेन की आर्थिक प्रगति को बाधित कर दिया और अमेरिका को आर्थिक जगत का बादशाह बना डाला। आज अमेरिकी डॉलर की विश्व में सबसे ज्यादा माँग है वैसे ही उस समय पाउंड की थी।

एक बात में वैश्वीकरण के ये दोनों चरण एक-दूसरे से भिन्न हैं और वह है अंतर्राष्ट्रीय प्रवाह अथवा देशांतरण।


10. आर्थिक सुधारों अथवा नई आर्थिक नीति के उद्देश्यों को सपझावें।

उत्तर- आर्थिक सुधारों अथवा नई आर्थिक नीति के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

(i) आर्थिक विकास की दर को बढ़ाना।

(ii) उत्पादन इकाइयों की प्रतियोगी क्षमता को बढ़ाना।

(iii) उत्पादन इकाइयों की कार्यकुशलता एवं उत्पादकता स्तर में सुधार लाना।

(iv) आर्थिक विकास के लिए विश्वव्यापी संसाधनों का प्रयोग करना।

(v) वित्तीय क्षेत्र में सुधार लाना तथा इसे आधनिक बनाना ताकि यह अर्थव्यवस्था की जरूरतों को प्रभावशाली ढंग से पूरा कर सके।

(vi) इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के कार्य संपादन में सुधार लाना तथा इसके क्षेत्र को अधिक युक्तिसंगत बनाना।


11. बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ किस प्रकार विश्व भर में उत्पादन को एक-दूसरे से जोड़ती है ? अथवा, वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की क्या भूमिका है ?

उत्तर- बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ निम्न प्रकार से अपने उत्पादन को एक-दूसरे से जोड़ती है

(i) स्थानीय कम्पनी को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना। जैसे—पारले समूह के ‘थम्स अप’ ब्रांड को कोका कोला ने खरीद लिया।

(ii) कभी-कभी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ देशों की स्थानीय कम्पनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती है। इससे स्थानीय कम्पनियों को नई तकनीक का ज्ञान मिलता है। वहीं बहराष्ट्रीय कम्पनियाँ उत्पादन के लिए पूँजी लगाती है।

(iii) बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ माल के उत्पादन के लिए छोटे उत्पादकों द्वारा किया जाता है। बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ ये उत्पाद खरीदकर अपने ब्रांड नाम से विश्वभर में बेचती है। इस तरह बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के द्वारा विश्व के दूर-दूर तक बने उत्पाद को एक जगह से दूसरे जगह भेजा जा रहा है।


12. एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा किसी देश में अपनी उत्पादन इकाई लगाने के निर्णय पर किन बातों का प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर- कोई भी बहुराष्ट्रीय कंपनी किसी देश में अपनी इकाई लगाने से पूर्व निम्नलिखित बातों पर खास ध्यान देती है। . सबसे पहले यह देखा जाता है कि जहाँ निवेश करना है वहाँ की आधारभूत संरचना कैसी है? मानव संसाधन की उपलब्धता है कि नहीं, उत्पादन की बिक्री के लिए बाजार की उपलब्धता है कि नहीं, वहाँ सस्ते श्रम की उपलब्धता है कि नहीं और उत्पादन के लिए कच्चा माल उपलब्ध है कि नहीं तथा सबसे अधिक ध्यान वहाँ के सरकार की नीतियों पर दिया जाता है। भारत में भी 1991 के बाद नई आर्थिक नीतियों के प्रभाव के कारण ही बहुराष्ट्रीय कंपनियों का आगमन प्रारंभ हुआ। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि यह निर्णय अनेक सकारात्मक तथ्यों पर आधारित होता है।


13. सन् 1991 के आर्थिक सुधारों का भारत पर हुए प्रभावों की चर्चा

उत्तर- सन् 1991 में भारत के वित्तमंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह थे। जिनके प्रयास से LPG की नीति अर्थात् उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण की नीति चलाई गई जिससे भारत में अनेक आर्थिक प्रगति हुई।

(i) उदारीकरण के कारण सरकार ने जब कोटा, परमिट और तरह-तरह के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाया तो तेजी से विदेशी निवेश भारत में होने लगे।

(ii) निजीकरण की नीति के अंतर्गत घाटे में चल रहे अनेक उद्योग को निजी कंपनियों के हवाले किया। परिणामस्वरूप यही कंपनियाँ लाभ प्रदान करने लगी। वैश्वीकरण के कारण जहाँ भारत में अनेक बहराष्ट्रीय कंपनियों ने निवेश किए वहीं भारतीय कंपनियों ने भी उद्योगों एवं पूँजी का विस्तार प्रारंभ कर दिया। इन आर्थिक प्रगतियों ने भारत का कायाकल्प कर दिया।


Geography ( भूगोल )  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1 भारत : संसाधन एवं उपयोग
2 कृषि ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
3 निर्माण उद्योग ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
4 परिवहन, संचार एवं व्यापार
5 बिहार : कृषि एवं वन संसाधन
6 मानचित्र अध्ययन ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )

History ( इतिहास ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1 यूरोप में राष्ट्रवाद
2 समाजवाद एवं साम्यवाद
3 हिंद-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
4 भारत में राष्ट्रवाद
5 अर्थव्यवस्था और आजीविका
6 शहरीकरण एवं शहरी जीवन
7 व्यापार और भूमंडलीकरण
8 प्रेस-संस्कृति एवं राष्ट्रवाद

Political Science दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1 लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी
2 सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली
3 लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष
4 लोकतंत्र की उपलब्धियाँ
5 लोकतंत्र की चुनौतियाँ

Economics ( अर्थशास्त्र ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1 अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास
2 राज्य एवं राष्ट्र की आय
3 मुद्रा, बचत एवं साख
4 हमारी वित्तीय संस्थाएँ
5 रोजगार एवं सेवाएँ
6 वैश्वीकरण ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण

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