मानव नेत्र का रंग बिरंगा संसार ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) Manav Netra tatha Rang biranga Sansar Question Answer For Matric Exam 2022

Manav Netra tatha Rang biranga Sansar : क्लास 10 विज्ञान मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार क्वेश्चन आंसर मैट्रिक परीक्षा 2022 के लिए यहां पर दिया गया है । तथा क्लास 10th विज्ञान के सभी चैप्टर का ऑब्जेक्टिव प्रश्न दिया गया है। Manav Netra tatha Rang biranga Sansar objective question. class 10th science chapter 2 Manav Netra tatha Rang biranga Sansar objective and subjective question answer pdf download for Matric exam 2022 


1. अग्रिम सूर्योदय तथा विलंबित सूर्यास्त से क्या समझते हैं ?

उत्तर⇒ वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पूर्व दिखाई देने लगता है का वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट पश्चात् तक दिखाई देता रहता है। वास्तविक सूर्योदय से अर्थ है, सूर्य द्वारा वास्तव में क्षितिज को पार करना। सूर्य की क्षैतिज के सापेक्ष वास्तविक तथा आभासी स्थितियाँ दिखाई गई हैं।सूर्यास्त से आप क्या समझते है

वास्तविक सूर्यास्त तथा आभासी सूर्यास्त के बीच के समय का अंतर 2 मिनट का होता है। इसी परिघटना के कारण सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सर्य कीचक्रिका चपटी प्रतीत होती है।


2. स्वच्छ आकाश का रंग नीला क्यों होता है ?

उत्तर⇒वायुमंडल में वायु के अणु तथा अन्य सूक्ष्म कणों का साइज दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्घ्य के प्रकाश की अपेक्षा नीले वर्ण की ओर के कम तरंगदैर्घ्य को प्रकीर्णित करने में अधिक प्रभावी है। लाल वर्ण के प्रकाश की तरंगदैर्घ्य नीले प्रकाश की अपेक्षा लगभग 1.8 गुनी है। अतः जब सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से गुजरता है तो वायु के सूक्ष्मकण लाल रंग की अपेक्षा नीले रंग को अधिक प्रबलता से प्रकीर्ण करते हैं। प्रकीर्णित हुआ नीला प्रकाश हमारे नेत्रों में प्रवेश करता है। इसी कारण स्वच्छ आकाश का रंग नीला प्रतीत होता है। अगर पृथ्वी पर वायुमंडल नहीं होता तो कोई प्रकीर्णन नहीं होता और आकाश काला प्रतीत होता।
अत्यधिक ऊँचाई पर अन्तरिक्ष में उड़ते हुए यात्रियों को आकाश काला प्रतीत होता है, क्योंकि इतनी ऊँचाई पर वायुमंडल की कमी के कारण प्रकीर्णन सुस्पष्ट नहीं हो पाता है।

Also Read : class 10th science objective

3. प्रकाश का वर्ण विक्षेपण से आप क्या समझते हैं? इन्द्रधनुष की व्याख्या करें।

उत्तर⇒जब श्वेत प्रकाश को किसी प्रिज्म से होकर गुजारा जाता है तो यह सात रंगों में विभक्त हो जाता है। इसे वर्ण विक्षेपण कहा जाता है। ये सात रंग “बैनीआहपीनाला” से सचित होते हैं।
वर्ण विक्षेपण जब आकाश में पानी के लटके हुए बूंदों से होता है तो इन्द्रधनुष का निर्माण होता है। . इन्द्रधनुष वर्षा के पश्चात् आकाश में जल के सूक्ष्मकणों में दिखाई देने वाले प्राकृतिक स्पेक्ट्रम है। यह वायुमंडल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है। इन्द्रधनुष हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है। जल की छोटी-छोटी बूंदें छोटे प्रिज्मों की भाँति कार्य करती है। सूर्य के आपतित प्रकाश को ये बँदें अपवर्तित तथा विक्षेपित करती हैं, तथा फिर आन्तरिक परावर्तित करती हैं, अन्ततः जल की बूंद से बाहर निकलते समय प्रकाश को पुनः अपवर्तित करती है। प्रकाश के परिक्षेपण तथा आन्तरिक परावर्तन के कारण विभिन्न वर्ण प्रेक्षक के नेत्रों तक पहुँचते हैं और उन्हें आकाश में सात रंगों का बैंड इन्द्रधनुष के रूप में दिखाई पड़ता है।इन्द्रधनुष का बनना


4. मानव नेत्र का स्वच्छ नामांकित आरेख खींचें।

उत्तर⇒
मानव नेत्र


5. तारे क्यों टिमटिमाते हैं ?

उत्तर⇒तारों के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण ही तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने तक तारे का प्रकाश निरन्तर ‘अपवर्तित होता रहता है। वायुमंडलीय अपवर्तन उसी माध्यम में होतातारे की अभाशी स्थिति है जिसका क्रमिक परिवर्ती अपवर्तनांक हो । क्योंकि वायुमण्डल तारे के प्रकाश को अभिलम्ब की ओर झुका देता है, अतः तारे की आभासी स्थिति उसकी वास्तविक स्थिति से कुछ भिन्न प्रतीत होती है। क्षितिज के निकट देखने पर कोई तारा अपनी वास्तविक स्थिति से कुछ ऊँचाई पर प्रतीत होता है। तारे की यह आभासी स्थिति भी स्थायी न होकर धीरे-धीरे थोड़ी बदलती भी रहती है क्योंकि पृथ्वी के वायुमण्डल की भौतिक अवस्थाएँ स्थायी नहीं हैं। चूँकि तारे बहुत दूर हैं, अतः वे प्रकाश के बिन्दु-स्रोत के सन्निकट हैं क्योंकि तारों से आने बाली प्रकाश किरणों का पथ थोड़ा-थोड़ा परिवर्तित होता रहता किरण का मार्ग है। अत: तारे की आभासी स्थिति विचलित होती रहती है तथा आँखों में प्रवेश करने वाले तारों के प्रकाश मात्रा झिलमिलाती रहती है जिसके कारण कोई तारा कभी चमकीला प्रतीत होता है तो कभी धुंधला, जो कि टिमटिमाहट काचित्र बायुमंडलीय अपवर्तन के प्रभाव है।


6. सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है ?

उत्तर⇒ क्षितिज के समीप स्थित सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमंडल में वायु की मोटी परतों से होकर गुजरता है। तथापि, जब सूर्य सिर से ठीक ऊपर (ऊर्ध्वस्थ) हो तो सूर्य से आने वाला प्रकाश,सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय

चित्र :- सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय का रक्ताभ  प्रतीत होना 

अपेक्षाकृत कम दूरी चलेगा। दोपहर के समय, सूर्य श्वेत प्रतीत होता है, क्योंकि नीले तथा बैंगनी वर्ण का बहुत भाग ही प्रकीर्ण हो पाता है। क्षितिज के समीप, नीले तथा कम तरंगदैर्ध्य के प्रकाश का अधिकांश भाग कणों द्वारा प्रकीर्ण हो जाता है । इसीलिए, हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंगदैर्ध्य का होता है। इससे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।


7. मनुष्य की आँख का चित्र बनाकर उसकी रचना व कार्यविधि का वर्णन कीजिए।

उत्तर⇒नेत्र के निम्नलिखित भाग होते हैं-
(i) दढ पटल मनुष्य का नेत्र लगभग एक खोखले गोले के समान होता है जो बाहर से एक दृढ़ और अपारदर्शी श्वेत पत से ढंका रहता है जिसे दृढ़ पटल कहते हैं। इसके द्वारा नेत्र की रक्षा होती है।

मानव नेत्र

(ii) कॉर्निया – दृढ पटल के सामने का भाग उभरा हुआ और पारदर्शी होता है। इसे कॉर्निया कहते हैं। नेत्र में प्रकाश इसी से होकर प्रवेश करता है।

(iii) आइरिस – कॉर्निया के पीछे एक रंगहीन तथा अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है जिसे आइरिस कहते हैं।

(iv) पतली या नेत्र तारा – पर्दे के बीच में एक छिद्र होता है जिसको पुतली कहते हैं। यह गोल तथा काला दिखाई देता है। कॉर्निया से आया प्रकाश पुतली से होकर ही लेंस पर पड़ता है। पुतली की यह विशेषता होती है कि अंधकार में यह अपने आप बड़ी व अधिक प्रकाश में अपने आप छोटी हो जाती है।

(v) नेत्र लेंस – पुतली के ठीक पीछे नेत्र लेंस होता है जो कि पारदर्शी जीवित पदार्थ का बना होता है। नेत्र लेंस के पिछले भाग की वक्रता त्रिज्या बड़ी होती है।

पर्तिबिम्ब

(vi) जलीय द्रव तथा काचाभ द्रव – कॉर्निया एवं लेंस के बीच एक नमकीन तथा पारदर्शी द्रव भरा रहता है जिसका अपवर्तनांक 1.336 होता है। इसे जलीय द्रव कहतें हैं । लेंस के पीछे एक और पारदर्शी द्रव भरा रहता है जिसका अपवर्तनांक भी 1.336 होता है। इसे काचाभ द्रव कहते हैं।
(vii) कोरोइड – दृढ़ पटल के ठीक नीचे एक काले रंग की झिल्ली होती है जो प्रकाश को शोषित करके, प्रकाश के आन्तरिक परावर्तन को रोकती है। इसे कोराइड कहते हैं।

(viii) रेटिना-कोरोइड झिल्ली के नीचे तथा नेत्र के सबसे अन्दर की ओर एक पारदर्शी झिल्ली होती है, जिसे रेटिना कहते हैं। वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है। रेटिना बहुत-सी प्रकाश शिराओं की एक फिल्म होती है।

कार्य – आँखें देखने का कार्य करती हैं। बाहर से प्रकाश कार्निया से अपरिवर्तित होकर पुतली में होता हुआ लेंस पर पड़ता है। लेंस से अपवर्तन होने के पश्चात किरणें रेटिना के पीत बिन्द पर केन्द्रित हो जाती हैं, जिससे रेटिना की संवेदनशील कोशिकाएँ सक्रिय हो जाती हैं व विद्युत संकेत उत्पन्न होते हैं जो दृक तन्त्रिकाओं द्वारा हमारे मस्तिष्क में पहुँचते हैं। यहाँ ये संकेत प्रकाश के रूप में प्रतिपादित होते हैं। आँख के लेंस से जुड़ी मांसपेशियों के तनाव में परिवर्तन होने से उसकी फोकस दूरी परिवर्तित हो जाती है । तनाव के कम होने से लेंस पतला हो जाता है तथा दूर स्थित वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती हैं। तनाव अधिक होने से लेंस मोटा हो जाता है, व निकट की वस्तुएँ साफ दिखाई पड़ती हैं। जब ये शक्ति लेंस में क्षीण हो जाती है तो हमारी आँखों में दोष उत्पन्न हो जाते हैं।


8. मानव आँख के दोषों को रेखांकित चित्रों की सहायता से दूर करने के उपाय समझाएँ। – अथवा, दृष्टि दोष क्या है ? ये कितने प्रकार के होते हैं ? किसी एकदृष्टि दोष के निवारण का सचित्र वर्णन करें ।

उत्तर⇒आँख के दोष – एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर बन जाए । इससे दूर दृष्टि तथा निकट दृष्टि के दोष हो जाते हैं । इनके अतिरिक्त प्रेस्बायोपिया, रंगांधता और एस्टग्माटिज्म रोग भी बहुत सामान्य है।

I. दर दृष्टि दोष – इस दोष के व्यक्ति को दूर की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्त समीप की वस्तएँ स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप की वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।

दूर दिर्स्ती दोस दूर दृष्टि दोष के कारण –
(i) नेत्र गोलक का छोटा होना ।
(ii) आँख के क्रिस्टलीय लेंस का पतन होना या इनकी फोकस दूरी का अधिक हो जाना। बच्चों में यह प्रायः नेत्र गोलक के छोटा होने के कारण होता है।

दूर दृष्टि दोष को दूर करना — इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है। इस लेंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।

दूर दिर्स्टी दूर करना

II. निकट दृष्टि दोष — इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परन्तु दूर की वस्तुएँ ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती हैं । इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है ।

निकट दिर्स्त दोस

निकट दृष्टि दोष के कारण – : इस दोष के उत्पन्न होने के कारण –

(i) क्रिस्टलीय लेंस का मोटा हो जाना या इसकी फोकस दूरी का कम हो जाना ।

(ii) आँख के गोले का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लेंस के बीच की दूरी का अधिक हो जाना होता है। अनंत से आने वाली समानांतर किरणें 1 रेटिना के सामने मिलती हैं तथा प्रतिबिंब रेटिना पर नहीं बनता जैसा कि ऊपर चित्र में दिखाया गया है।

निकट दृष्टि दोष को दूर करना – इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लेंस का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु जितनी होती है।निकट दिर्स्टी दूर करना

III. रंगांधता – यह एक ऐसा रोग है जो जैविक कारणों से होता है। यह वंशानुगत होता है। इस रोग में रोगी विशेष रंगों को पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसकी आँखों में रेटिना पर शंक जैसी ‘संरचनाएँ अपर्याप्त होती हैं। आँखों में लाल, नीले और हरे रंग को पहचानने वाली कोशिकाएँ होती हैं। रंगांध व्यक्ति की आँख में कम शंक्वाकार रचनाओं के कारण वह विशेष रंगों को नहीं पहचान पाता। इस रोग का कोई उपचार नहीं है। ऐसा व्यक्ति हर वस्तु ठीक प्रकार से देख सकता है पर कुछ रंगों की पहचान नहीं कर पाता । परमाणु सिद्धांतों का जनक डाल्टन भी इस रोग से ग्रस्त था।

IV. प्रेस्बायोपिया –  यह रोग आयु से संबंधित है। लगभग सभी व्यक्तियों को यह रोग 40 वर्ष की आयु के बाद हो जाता है। आँख के लेंस की लचक आयु केसाथ कम हो जाती है। सिलियरी मांसपेशियाँ आँख के लेंस की फोकस दूरी को परिवर्तित नहीं कर पाती जिस कारण निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती । निकट
दृष्टि और दूर दृष्टि के मिले-जुले इस रूप को दूर करने के लिए उत्तल और अवतल लेंस से युक्त दो चश्मों का बाइफोकस चश्मे में दोनों लेंसों के साथ प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है।

V. एस्टेग्माटिज्म- एस्टेग्माटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक साथ अपनी दोनों आँखों का फोकस नहीं कर पाता । कॉर्निया के पूर्ण रूप से गोलाकार न होने के कारण यह रोग होता है । विभिन्न दिशाओं में वक्रता भिन्न होती है। व्यक्ति लंबाकार दिशा – में ठीक प्रकार से दृष्टि फोकस नहीं कर पाता । इस रोग को सिलेंड्रीकल चश्मे से सुधारा जा सकता है।


class 10th science question answer 2022 

  1. विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) Vidyut Dhara ke chumbkiya Prabhav class 10th science question answer for Matric exam 2022
  2. विधुत धारा ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) Vidyut Dhara question answer-class 10th science question answer for Matric exam 2022
  3. नियत्रण एवं समन्वय ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) niyantran evam samanvay question answer class 10th science Matric exam 2022
  4. अम्ल क्षारक एवं लवण ( लघु उत्तरीय प्रश्न ) aml chhar lawan question answer  क्लास 10th 
  5. Bihar board class 10th science objective question and subjective question answer Matric exam 2021

Manav Netra tatha Rang biranga Sansar subjective  question

मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार प्रश्न उत्तर 2022 मैट्रिक परीक्षा के लिए मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार दीर्घ उत्तरीय प्रश्न और अति लघु उत्तरीय प्रश्न मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन यहां पर दिया गया है। बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा बहुत महत्वपूर्ण  है। Manav Netra tatha Rang biranga Sansar objective question answer and objective question answer for Matric exam 2020 of Bihar board . class 10th science objective question

S.N  Physics ( भौतिक विज्ञान ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन
2 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार
3 विधुत धारा
4 विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव
5 ऊर्जा के स्रोत
S.N Chemistry ( रसायन विज्ञान ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 रासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण
2 अम्ल क्षार एवं लवण
3 धातु एवं अधातु
4 कार्बन और उसके यौगिक
5 तत्वों का वर्गीकरण
S.N  Biology ( जीव विज्ञान ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1 जैव प्रक्रम 
2 नियंत्रण एवं समन्वय
3 जीव जनन कैसे करते हैं
4 अनुवांशिकता एवं जैव विकास
5 हमारा पर्यावरण
6 प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More