आनुवंशिकता एवं जैव विकास ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) class 10th science Question Answer For Bihar Board Matric Exam 2022

आनुवंशिकता एवं जैव विकास दीर्घ उत्तरीय प्रश्न यहां पर दिया गया है जो मैट्रिक परीक्षा 2022 के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और इस वेबसाइट पर आनुवंशिकता एवं जैव विकास का ऑब्जेक्टिव प्रश्न भी उपलब्ध है तथा आप क्लास 10th विज्ञान ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन को यहां से पढ़ सकते हैं। class 10th science objective  आनुवंशिकता एवं जैव विकास क्लास 10th आनुवंशिकता एवं जैव विकास लघु उत्तरीय प्रश्न। class 10th science Question Answer For Bihar Board Matric Exam 2022 


1. जैव विकास क्या है ? लामार्कवाद का वर्णन करें

उत्तर ⇒ पृथ्वी पर वर्तमान जटिल प्राणियों का विकास प्रारंभ में पाये जाने वाले सरल प्राणियों से परिस्थिति और वातावरण के अनुसार होने वाले परिवर्तनों के कारण हुआ। सजीव जगत में होनेवाले इस परिवर्तन को जैव विकास (organic evolution) कहते हैं। फ्रांसीसी प्रकृति वैज्ञानिक लामार्क (Jean Baptiste Lamarck, 1744-1829) न सबसे पहले 1809 में जैव विकास के अपने विचारों को अपनी पुस्तक फिलॉसफिक जूलौजिक (Philosophic Zoologique) में प्रकाशित किया । यही लामार्कवाद या उपार्जित लक्षणों का वंशागति सिद्धांत (theory of inheritance of acquired characters) है। लामार्क के अनुसार जीवों की संरचना, कायिकी, उनके व्यवहार पर वातावरण के परिवर्तन का सीधा असर पड़ता है। इसके कारण जीवों के अंगों का उपयोग ज्यादा या कम होता है। जिन अंगों का उपयोग अधिक होता है वे अधिक विकसित हो जाते हैं तथा जिनका उपयोग नहीं होता है, धीरे-धीरे उनका ह्रास हो जाता है। वातावरण के सीधे प्रभाव से या अंगों में कम या अधिक उपयोग के कारण जंतु के शरीर में जो परिवर्तन आते हैं उन्हें उपार्जित लक्षण (acquired character) कहते हैं। यह लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में प्रजनन द्वारा चले जाते हैं । ऐसा लगातार होने से कुछ पीढ़ियों के बाद उनकी शारीरिक रचना बदल जाती है तथा एक नई प्रजाति का विकास हो जाता है।


2. आनुवंशिकी की परिभाषा दीजिए। जीव विज्ञान की इस शाखा को मेण्डल का क्या योगदान है ?

उत्तर ⇒ आनुवंशिकी जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत आनुवंशिकता और विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है।
मेण्डल को आनुवंशिकी का जनक माना जाता है। उन्होंने मटर के पौधों पर. संकरण सम्बन्धी तरह-तरह के प्रयोग किए थे और तीन नियमों को प्रतिपादित किया।

(i) प्रभाविता का नियम (Law of dominance)- संकरण में भाग लेने वाले पौधों का प्रभावी गुण प्रकट होता है और अप्रभावी गुण छिप जाता है।

(ii) पृथक्करण का नियम (Law of segregation)- युग्मकों की रचना के समय कारकों (Genes) के जोड़े अलग-अलग हो जाते हैं। इन दोनों में से केवल एक ही युग्मक के पास पहुँचता है। दोनों कारक कभी भी एक साथ युग्मक में नहीं जाते।

(iii) स्वतंत्र अपव्यूहन का नियम (Law of independent assortment) – कारक एक-दूसरे को प्रभावित किये बिना उन्मुक्त रूप से युग्मकों में जाते हैं और प्रकट होते हैं। उदाहरण के लिए द्विसंकर क्रॉस की दूसरी पीढ़ी की संतानों में सभी कारकों के गुण अलग-अलग दिखाई देते हैं पर पहली पीढ़ी में प्रभावी गुण ही प्रकट होता है।

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3. आनुवंशिक विभिन्नता के स्रोतों का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ जीवों में आनुवंशिक विभिन्नता उत्परिवर्तन के कारण होता है तथा नई जाति (species) के विकास में इसका योगदान हो सकता है । क्रोमोसोम पर स्थित जीन की संरचना तथा स्थिति में परिवर्तन ही उत्परिवर्तन के कारण है । आनवंशिक विभिन्नता का दूसरा कारण है आनुवंशिक पुनर्योग (genetic recombination) भी है। आनुवंशिक पुनर्योग के कारण संतानों के क्रोमोसोम में जीन के गुण (संरचना तथा ‘क्रोमोसोम पर उनकी स्थिति) अपने जनकों के. जीन से भिन्न हो सकते हैं । अतः उत्परिवर्तन तथा आनुवंशिक पुनर्योग जीव में नए गुणों की उत्पत्ति के कारण हो सकते हैं । ऐसे नए गण जीवों को अपने वातावरण के अनसार अनुकूलन में सहायक हो सकते हैं । कभी-कभी ऐसे नए गण जीवों को वातावरण में अनुकूलित होने में सहायक नहीं भी होते हैं । ऐसी स्थिति में आपसी स्पर्धा, रोग इत्यादि कारणों से वैसे जीव विकास की दौड में विलप्त हो जाते हैं । बचे हुए जीव ऐसे लाभदायक गुणों को अपने संतानों में संचरित करते हैं। इस तरह प्रकृति नए गुणों वाले जीवा का चयन कर लेती है तथा कुछ को निष्कासित कर देती है । प्राकृतिक चयन (natural selection) द्वारा नए गुणों वाले जीवों का विकास इसी प्रकार होता है।


4. डार्विन के प्राकृतिक चयन के सिद्धांत की व्याख्या करें।

उत्तर ⇒ डार्विन के अनुसार प्रत्येक जीव में प्रजनन की असीम क्षमता होती है तथा प्रत्येक जीव ज्यामितीय अनक्रम द्वारा अपनी जनसंख्या में वृद्धि करते हैं। प्रत्येक जीव में अत्यधिक प्रजनन दर की तलना में पथ्वी पर भोजन तथा आवास नियत है। अतः जीवों में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए आपस में संघर्ष होता रहता है। ये संघर्ष मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।

(क) अपनी एक ही समष्टि के व्यष्टियों के बीच का संघर्ष
(ख) एक ही जाति के विभिन्न समष्टियों के बीच का संघर्ष तथा
(ग) जीवों का प्रतिकूल वातावरणीय परिस्थितियों में संघर्ष।

प्राकृतिक वरण द्वारा चयनित विभिन्नताएँ दूसरी पीढी में उनके संतानों में वंशागत होती है तथा पीढ़ी-दर-पीढ़ी इनके प्राकृतिक वरण से ही नये प्रजाति का निर्माण होता है।


5. क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं ?

उत्तर ⇒ सभी दिशाओं में मानव का प्रव्रजन हुआ। आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़नेवाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं, मानव के DNA अनुक्रम तथा Y क्रोमोसोम तथा उनमें हुए उत्परिवर्तनों के अध्ययन से ही संभव हुआ है। आज रक्त के एक नमूने के विश्लेषण से किसी व्यक्ति के पूर्वजों की खोज की जा सकती है। इस विश्लेषण से यह भी जाना जा सकता है कि किसी व्यक्ति विशेष के पूर्वज संसार के किस भाग के मूल निवासी थे। ऐसा माइटोकॉण्डिया के DNA तथा क्रोमोसोम के अध्ययन से ही संभव हो पाया है। वर्तमान समय के सभी मानवों के जीन कोश (gene pool) एक समान होने के कारण सभी मानव एक ही प्रजाति (Homo sapiens) कहलाते हैं। हालाँकि विभिन्न क्षेत्रों के मानवों के गुणों की तुलना करने पर उनमें कई प्रकार की व्यक्तिगत विभिन्नताएँ पायी जाती हैं, जैसे त्वचा तथा बालों के रंग, शरीर की लंबाई एवं गठन इत्यादि।


6. जाति उद्भवन क्या है ?

उत्तर ⇒ जब दो उप-आबादियों के बीच जीन प्रवाह (gene flow), अर्थात् आनुवंशिक पदार्थों के आदान-प्रदान की संभावना कम होगी, तब वे अपनी ही उप-आबादी के सदस्यों के साथ लैंगिक प्रजनन कर पायेंगे। ऐसी स्थिति में एक उप आबादी के दोनों जनकों के अप्रभावी उत्परिवर्तित जीनों (recessive mutant genes) के संयोजन की संभावना अधिक होगी। ऐसे जीन इस स्थिति में अब प्रभावी उत्परिवर्तित जीन (dominant mutant genes) की तरह व्यवहार करेंगे । इससे उत्पन्न गुण (traits) अब संतानों में परिलक्षित होंगे। इस तरह के गुण लाभदायक होने पर प्रकृति द्वारा उनका चुनाव होता है तथा एक नई उपप्रजाति का उद्भव होता है । यदि मूल प्रजाति से इनका लैंगिक प्रजनन संभव हो भी गया तो उत्पन्न संतानों में जनन क्षमता नहीं होगी। इससे एक या एक से अधिक उपप्रजातियाँ बन जाएँगी। यही जाति – उद्भवन (speciation) कहलाता है।


7. मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ?

उत्तर ⇒ मेंडल ने मटर के पौधे के अनेक विकल्पी लक्षणों का अध्ययन किया जो स्थूल दिखते हैं। उदाहरणतः गोल/झुरींदार बीज, लंबे/बौने पौधे, सफेद बैंगनी फूल इत्यादि। उसने विभिन्न लक्षणों वाले मटर के पौधों को लिया जैसे कि लंबे पौधे तथा बौने पौधे। इससे प्राप्त संतति पीढ़ी में लंबे एवं बौने पौधों के प्रतिशत की गणना की। मेंडल के अपने प्रयोगों में दोनों प्रकार के पैतृक पौधों एवं F पीढ़ी के लंबे पौधों की दूसरी पीढ़ी; अर्थात् F, पीढ़ी के सभी पौधे लंबे नहीं थे वरन् उनमें से एक चौथाई संतति बौने पौधे थे । यह इंगित करता है कि F. पौधों द्वारा लंबाई एवं बौनेपन दोनों विशेषकों (लक्षणों) की वंशानुगति हुई। परंतु केवल लंबाई वाला लक्षण ही व्यक्त हो पाया। अतः लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होनेवाले जीवों में किसी भी लक्षण की दो प्रतिकृतियों की वंशानुगति होती है। ये दोनों एक समान हो सकते हैं अथवा भिन्न हो सकते हैं जो उनके जनक पर निर्भर करता है।

मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं

चित्र : दो पीढ़ियों तक लक्षणों की वंशानुगति ।


8. मेंडल का प्रथम नियम या पृथक्करण का नियम क्या है ?

उत्तर ⇒ मेंडल ने एकसंकर संकरण (monohybrid cross) में केवल एक जोड़े विपरीत गुणों की वंशागति का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला कि अप्रभावी गुण (बौनापन—recessive trait) में न तो कोई बदलाव आता है और न ही ऐसा गुण लुप्त होता है। संकर नस्ल की पीढ़ी में दोनों विपरीत गुण (opposite traits) साथ-साथ होते हैं। परंतु अगली पीढ़ियों में पृथक, अर्थात् अलग-अलग हो जाते हैं। यह निष्कर्ष मेंडल का प्रथम नियम या पृथक्करण का नियम (Mendel’s first law of segregation) कहलाता है।

दो पीढ़ियों तक एक जोड़े विपरीत गुणों की वंशागति

मेंडल का प्रथम नियम या पृथक्करण का नियम क्या है

चित्र : दो पीढ़ियों तक एक जोड़े विपरीत गुणों की वंशागति


9. मानव में लिंग निर्धारण आनुवंशिक आधार पर होता है, चित्र द्वारा – समझाएँ।

उत्तर ⇒ मानव के सभी गुणसूत्र पूर्णरूपेण युग्म नहीं होते। मानव में अधिकतर गुणसूत्र माता और पिता के गुणसूत्रों के प्रतिरूप होते हैं। इनकी संख्या 22 जोड़े हैं। परन्तु एक युग्म जिसे लिंग सूत्र कहते हैं वह पूर्ण जोड़े में नहीं होते। स्त्री में गुणसूत्र का पूर्ण युग्म होता है तथा दोनों ‘X’ कहलाते हैं। लेकिन पुरुष (नर) में यह जोड़ा परिपूर्ण जोड़ा नहीं होता, जिसमें एक गुणसूत्र सामान्य आकार का ‘X’ होता है तथा दूसरा गुणसूत्र छोटा होता है जिसे ‘गुणसूत्र कहते हैं । अतः स्त्रियों में ‘XX’ तथा पुरुष में :xr गुणसूत्र होते हैं। इसमें सामान्यत: आधे बच्चे लड़के एवं आधे लड़की हो सकते हैं। सभी को चाहे वह लड़का हो अथवा लड़की, अपनी माता से ‘X गुणसूत्र प्राप्त करते हैं। बच्चों का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें अपने पिता से कि प्रकार गणसूत्र प्राप्त हुआ है। जिसे अपने पिता से ‘X’ गुणसत्र वंशानगत हुआ लडकी एवं जिसे पिता से ‘Y गुणूसत्र वंशानुगत होता है वह लड़का होता है। .

मानव में लिंग निर्धारण आनुवंशिक आधार पर होता है, चित्र द्वारा - समझाएँ


10. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिये। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?

उत्तर ⇒ अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं। अलैंगिक जनन एक ही जीव से होने के कारण केवल उसी के गुण उसकी संतान में जाते हैं और वे बिना परिवर्तन हुए पीढ़ी दर पीढ़ी समान ही रहते हैं। लैंगिक जनन नर और मादा के युग्मकों के संयोग से होता है जिसमें भिन्न-भिन्न जीन होने के कारण संकरण के समय विभिन्नता वाली संतान उत्पन्न होती है। जैसे सभी मानव युगों पहले अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे पर जब उनमें से अनेक ने अफ्रीका छोड़ दिया और धीरे-धीरे सारे संसार में फैल गए। इस कारणवश लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताओं के कारण उनकी त्वचा का रंग, कद, आकार आदि में परिवर्तन आ गया।


11. क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है। क्यों या क्यों नहीं ?

उत्तर ⇒ भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है। जननीय लक्षण तथा भौतिक लक्षण पौधों में दो प्रकार के पाये जाते हैं। जननीय लक्षण गुणसूत्रों पर उपस्थित डी० एन० ए० के द्वारा हस्तान्तरित होते हैं। भौतिक लक्षण भौगोलिक परिस्थितियों से प्रभावित होते हैं परन्तु गुणसूत्रों की संख्या एवं आकृति ज्यों की त्यों बनी रहती है। जननीय लक्षण अनुकूल परिस्थितियों में क्रियान्वित रहते हैं। अतः भौतिक लक्षणों में भिन्नता ही स्व-परागित पौधों में विभेदन का प्रमुख कारण होती है।


12. विभिन्नता को परिभाषित करें। जननिक विभिन्नता एवं कायिक विभिन्नता में विभेद करें। जीवों में आनुवंशिक विभिन्नताओं का संचयन कैसे होता है ?

उत्तर ⇒ जीवों के ऐसे गुण जो उन्हें अपने जनकों अथवा अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से भिन्नता दर्शाते हैं, विभिन्नता कहलाते हैं। जननिक विभिन्नता एवं कायिक विभिन्नता में निम्न अंतर हैं -जनन कोशिकाओं में होनेवाले परिवर्तन के कारण होनेवाली विभिन्नता, जननिक विभिन्नता या आनुवंशिक विभिन्नता कहलाती है। ऐसी विभिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होती है। वैसी विभिन्नताएँ जो गुणसूत्र सर जीन के गुणों में विभिन्नता के कारण उत्पन्न नहीं होती है वरन अन्य कई कारणों जैसे जलवायु एवं वातावरण का प्रभाव, उपलब्ध भोजन के प्रकार, अन्य उपस्थित जीवों के साथ परस्पर व्यवहार आदि के कारण उत्पन्न हो, कायिक विभिन्नताएँ कहलाती है। जीवों में आनुवंशिक विभिन्नताओं का संचयन जीन की प्रतिलिपि से बनती है।


13. मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है ?

उत्तर ⇒ मानव के सभी गुणसूत्र पूर्णरूपेण युग्म नहीं होते । मानव में अधिकतर गुणसूत्र माता और पिता के गुणसूत्रों के प्रतिरूप होते हैं । इनकी संख्या 22 जोड़े हैं । परंतु एक युग्म जिसे लिंग सूत्र कहते हैं वह पूर्ण जोड़े में नहीं होते । स्त्री में गुणसूत्र का पूर्ण युग्म होता है तथा दोनों ‘X’ कहलाते हैं। लेकिन पुरुष (नर) में यह जोड़ा परिपूर्ण जोड़ा नहीं होता, जिसमें एक गुणसूत्र सामान्य आकार का ‘X’ होता है तथा दूसरा गुणसूत्र छोटा होता है जिसे ‘Y’ गुणसूत्र कहते हैं । अतः स्त्रियों में XX’ तथा पुरुष में ‘XY’ गुणसूत्र होते हैं।

मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है

चित्र : मानव में लिंग निर्धारण

इसमें सामान्यत: आधे बच्चे लड़के एवं आधे लड़की हो सकते हैं । सभी बच्चे * चाहे वह लड़का हो अथवा लड़की, अपनी माता से ‘X’ गुणसूत्र प्राप्त करते हैं। अतः बच्चों का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें अपने पिता से किस प्रकार का गुणसूत्र प्राप्त हुआ है। जिसे अपने पिता से ‘X’ गुणसूत्र वंशानुगत हुआ है वह लड़की एवं जिसे पिता से ‘Y’ गुणसूत्र वंशानुगत होता है वह लड़का होता है।


14. समजात अंग व असमजात अंग से क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले मेढकाली जंतुओं के कुछ ऐसे अंग होते हैं जो संरचना एवं उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमजात अंग व असमजात अंग से क्या समझते हैं समान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न कार्यों . का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग (homologous organs) कहलाते हैं । जैसे— मेढक, पक्षी, बिल्ली तथा मनुष्य के अग्रपादों (forelimbs) में पाये जाने वाले अस्थियों के अवयव पक्षी मानव प्रायः समान होते हैं, परंतु इन कशेरुक प्राणियों के अग्रपाद विभिन्न प्रकार के कार्यों का संपादन कर सकते हैं। समजात अंगों के विपरीत जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं, जो रचना और उत्पत्ति या उद्भव के दृष्टिकोण से एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, परंतु वह एक ही प्रकार का कार्य करते हैं। ऐसे अंग असमजात अंग (analogous organs) चित्र : समजात अंग कहलाते हैं। जैसे—तितली तथा पक्षी के पंख (wings) उड़ने का कार्य करते हैं परंतु इनकी मूल संरचना और उत्पत्ति अलग-अलग प्रकार की होती है।

चित्र समरूप अंग चमगादड़ एवं पक्षी के पंख

चित्र : समरूप अंग : चमगादड़ एवं पक्षी के पंख


15. उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिये जिनका उपयोग हम लो स्पीशीज के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं।

उत्तर ⇒ बहूत अधिक भिन्न दिखने वाली संरचनाएँ एकसमान परिकल्प स विकसित हैं। जंगली गोभी इसका अच्छा उदाहरण है। दो हजार वर्ष पूर्व मनुष्य गाभा को एक खाद्य पौधे के रूप में उगाता था, तथा उसने चयन द्वारा इससे विभिन्न सब्जियाँ विकसित की।

उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिये जिनका उपयोग हम लो स्पीशीज के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं

चित्र: जंगली गोभी का विकास
कुछ किसान इसकी पत्तियों के बीच की दूरी कम करना चाहते थे जिससे पत्तागोभी का विकास हुआ। बंध्य पुष्पों से फूलगोभी विकसित हुई ।


16. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते । क्यों ?

उत्तर ⇒ वैसे जीव जिनमें लैंगिक जनन होता है, जनन कोशिकाओं (germ cells) का निर्माण उनके जनद या जनन ग्रंथि या गोनैड (genad) में होता है। शरीर की अन्य कोशिकाएँ कायिक या सोमैटिक सैल्स (Somatic cells) कहलाती है । वातावरण के प्रभाव के कारण कायिक कोशिकाओं में परिवर्तन, लोहार के हाथों की पेशियों का हथौड़ा चलाने के कारण मजबूत होता, चूहे की पूँछ काटने पर, इत्यादि गुण वंशागत नहीं होते अपितु इनकी अगली पीढ़ी सामान्य लक्षणों के साथ ही पैदा हुई जैसे लोहार की संतानों में मजबूत पेशियों का गुण वंशागत नहीं होता, कटे पूँछवाले चूहे की संतान पूँछ के साथ पैदा होती है, इत्यादि । यही कारण है कि एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते क्योंकि इससे जनन कोशिकाओं के जीन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता ।


17. एक ‘A’रुधिर वर्ग वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘0’ है से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘0’ है । क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाये कि कौन-सा विकल्प लक्षण रुधिर वर्ग-‘A’ अथवा ‘0’ प्रभावी लक्षण हैं? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिये।

उत्तर ⇒ एक ‘A’ रुधिर वर्ग वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग :0′ है से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है। यह सूचना पर्याप्त है यदि हमसे कहा जाये कि विकल्प लक्षण-रुधिर वर्ग- ‘A’ अथवा ‘0’ प्रभावी लक्षण है। क्योंकि लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी लक्षण की दो प्रतिकृतियों की (स्वरूप) वंशानुगति होती हैं। ये दोनों एक समान हो सकते हैं अथवा भिन्न हो सकते हैं जो उनके जनक पर निर्भर करता है ।।


18. ‘किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ?

उत्तर ⇒ जे० बी० एस० हाल्डेन नामक एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम सुझाव दिया कि जीवों की उत्पत्ति उन अजैविक पदार्थों से हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे। सन् 1953 ई० में स्टेनल, एल० मिलर और हेराल्ड सी० डरे ने ऐसे कृत्रिम वातावरण का निर्माण किया था जो प्राचीन वातावरण के समान था। इस वातावरण में ऑक्सीजन अनुपस्थित था। अमोनिया, मिथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड इसमें थे। एक पात्र में जल भी था जिसका तापमान 100°C से कम रखा गया था। जब गैसों के मिश्रण से चिंगारियाँ उत्पन्न की गई जो आकाशीय बिजली के समान थीं, मिथेन से 15% कार्बन सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल गए। इनमें अमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण करते हैं। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है।


19. एकसंकर संकरण को F-पीढ़ी तक चित्र के द्वारा दर्शाएँ।

उत्तर ⇒ एक लंबा पौधा को बौना पौधा से संकरण को निम्न तरीके से दिखाया जा सकता है

एकसंकर संकरण को F,-पीढ़ी तक चित्र के द्वारा दर्शाएँ।

चित्र : मेंडल के एक संकर संकरण के आधार पर दो पीढ़ियों तक एक जोड़े विपरीत गुणों की वंशागति


20. जीवाश्म एक के बाद एक परत कैसे बनाते हैं ?

उत्तर ⇒ अगर दस करोड़ वर्ष पूर्व से प्रारंभ किया जाये तब हम देखेंगे कि जीवाश्म एक के बाद एक परत कैसे बनाते हैं।

एक के बाद एक परत बनना

आइए 10 करोड़ (100 मिलियन) वर्ष पहले से प्रारंभ करते हैं। समुद्र तल पर कुछ अकशेरुकीय जीवों की मृत्यु हो जाती है तथा वे रेत में अधिक दब जाते हैं। धीरे-धीरे और अधिक रेत एकत्र होती जाती है तथा अधिक दाब के कारण चट्टान बन जाती है।

कुछ मिलियन वर्षों बाद, क्षेत्र में रहने वाले डायनोसॉर मर जाते हैं तथा उनका शरीर भी मिट्टी में दब जाता है । यह मिट्टी भी दबकर चट्टान बन जाती है । जो पहले वाले अकशेरुकीय जीवाश्म वाली चट्टान के ऊपर बनती है ।

कुछ मिलियन वर्षों बाद, क्षेत्र में रहने वाले डायनोसॉर मर जाते हैं तथा

फिर इसके कुछ और मिलियन वर्षों बाद इस क्षेत्र में घोड़े के समान कुछ जीवों . के जीवाश्म चट्टानों में दब जाते हैं ।

फिर इसके कुछ और मिलियन वर्षों बाद इस क्षेत्र में घोड़े के समान कुछ जीवों . के जीवाश्म चट्टानों में दब जाते हैं

जल प्रवाह) के कारण कुछ चट्टानें फट जाती हैं तथा घोड़े के समान जीवाश्म प्रकट होते हैं। जैसे-जैसे हम गहरी खुदाई करते जाते हैं, वैसे-वैसे पुराने तथा और पुराने जीवाश्म प्राप्त होते हैं।

इसके काफी समय उपरांत मृदा अपरदन (मान लीजिए


Class 10th Science Question Answer 2022 

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बिहार बोर्ड मेट्रिक एग्जाम 2022 विज्ञान का महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर यहां पर दिया गया है। जो अनुवांशिकता एवं जैव विकास चैप्टर का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है। और यह सब प्रश्न आपके बोर्ड परीक्षा में पूछे जा सकते हैं तो ऊपर दिए गए प्रश्नों को एक बार जरुर पढ़ें। class 10th science objective question 2022 

 

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